एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा है कि इंडिया गेट के आसपास बड़ी दीवारों के पीछे गोपनीय तरीके से किस चीज का निर्माण किया जा रहा है.
दिल्ली सरकार के वकील ने सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया कि वहां पर रक्षा मंत्रालय द्वारा एक वॉर मेमोरियल बनवाया जा रहा है जिसके बारे में ज्यादा जानकारी दिल्ली सरकार के पास भी नहीं है.
हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार के वकील को कहा कि क्या एक आम नागरिक को यह जानने का हक नहीं है कि इंडिया गेट के सर्किल पर क्या बनाया जा रहा है, क्या कोर्ट को भी यह जानने का हक नहीं है कि लुटियन जोन के इस इलाके में कंस्ट्रक्शन का कौन काम हो रहा है.
कोर्ट ने कहा कि जहां भी कंस्ट्रक्शन का काम हो रहा होता है वहां पर एक बोर्ड लगाकर सरकार और एजेंसी इस बात की जानकारी देते हैं कि निर्माण कार्य किस चीज का हो रहा है और यहां इंडिया गेट के सर्कल पर बड़ी दीवारों के पीछे हो रहे काम को छिपाने की कोशिश की जा रही है. कोर्ट ने कहा कि हम जानना चाहते हैं किसको क्यों छुपाया जा रहा है.
दरअसल दिल्ली हाईकोर्ट में एम्स के एक फिजियोथेरेपिस्ट ने एक पत्र लिखा और कहा कि इंडिया गेट सर्कल पर लगाए गए कैमरे काम ही नहीं करते हैं. हाल ही में इस फिजियोथेरेपिस्ट का एक कार से एक्सीडेंट हो गया था जिसके बाद घटनास्थल से एक्सीडेंट करने वाला व्यक्ति कार लेकर भाग गया था.
फिजियोथेरेपिस्ट ने बताया कि उसके बाद पुलिस स्टेशन गया और पुलिस को सीसीटीवी फुटेज से उस व्यक्ति के वाहन का नंबर देखने को कहा, लेकिन पुलिस ने जानकारी दी उस इलाके के सीसीटीवी कैमरे काम ही नहीं कर रहे हैं.
पुलिस से मिली जानकारी के आधार पर ही फिजियोथेरेपिस्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट को यह पत्र लिखा है जिसको कोर्ट ने जनहित याचिका में तब्दील करके सुनवाई की है.
हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान इस पूरी घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि सीसीटीवी अगर पूरी दिल्ली में लग जाएं तो इस तरह की क्राइम से जुड़ी घटनाओं पर बड़ी संख्या में लगाम लग सकती है, बहरहाल अगली सुनवाई पर दिल्ली हाईकोर्ट में सरकार को यह बताना होगा किस इलाके के कितने कैमरे काम कर रहे हैं और कितने बंद पड़े हैं.
दिल्ली सरकार के वकील की माने तो लुटियन जोन के इस इलाके में करीब 5,000 सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं. कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 20 अक्टूबर को करेगा.