कोरोना से बचाव के लिए आज की तारीख में सबसे पहले किसी चीज की जरूरत पड़ती है तो वो है मास्क. और लोगों की इसी जरूरत को पूरा करने के लिए लगातार बड़ी संख्या में मास्क बनकर बाजार तक पहुंच रहे हैं. लेकिन बाजार में पहुंचने वाले सभी मास्क क्या कोरोना से बचाव के लिए सक्षम हैं? इसी सवाल को दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा है कि क्या दिल्ली के बाजारों में बिक रहे मास्क निर्धारित कानून और मानदंडों की शर्तों पर खरे उतर रहे हैं. कोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा है कि बाजार में सभी मास्क की बिक्री क्या कानून के दायरे में रहकर की जा रही है?
दरअसल हाईकोर्ट में एक याचिका लगाई गई है जिसमें कहा गया है कि कोरोना होने के बाद ड्रेस से मैच करने वाले डिजाइनर मास्क बाजार में बड़ी संख्या में बेचे जा रहे हैं.
याचिकाकर्ता का कहना है कि इस तरह के डिजाइन और मास्क पहनने का चलन काफी बढ़ गया है लेकिन ये डिजाइनर मास्क सिंगल लेयर के हैं और यह करोना के संक्रमण को रोकने में या सुरक्षा देने में सक्षम नहीं हैं.
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डिसाइनर मास्क मतलब कोरोना से कम सुरक्षा?
हालांकि इस याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि बाजार में जो मास्क बिक रहे हैं उसको लेकर बीआईएस ने पहले ही मानक तय किए हुए हैं. लिहाजा इस याचिका पर सुनवाई नहीं की जानी चाहिए और उसको खारिज किया जाए. लेकिन याचिकाकर्ता का तर्क था कि मास्क को लेकर कानून भले ही हो, लेकिन उनका पालन नहीं किया जा रहा है और ना मानक के अनुसार मास्क बनाकर बाजार में लाए जा रहे हैं.
इसके अलावा बी आई एस के मानकों के मुताबिक जो मास्क नहीं बने हैं उनकी बिक्री भी बाजारों में धड़ल्ले से हो रही है. लिहाज़ा सरकार से उसका पालन सुनिश्चित करने का दिशा निर्देश दिया जाना चाहिए. कोर्ट ने इस मामले में सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा है और इस मामले की सुनवाई 4 जून तक के लिए टाल दी है.
कोर्ट की तरफ से दिल्ली सरकार को कई निर्देश
बता दें कि इस समय कई मद्दों को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट की तरफ से राज्य की सरकार से जवाब मांगे गए हैं. एक तरफ इस डिजाइनर मास्क वाले मुद्दे पर तो सरकार को जवाब देना ही है, इसके अलावा कोर्ट की तरफ से सरकार को कहा गया है कि उन्हें अब से कोविड हेल्पलाइन नंबरों को अखबार में प्रकाशित भी करवाना होगा और उसी जरिए से लोगों के बीच जागरूकता अभियान को भी चलाना होगा. कोर्ट ने साफ कर दिया है कि कोरोना काल में किसी भी आम इंसान को मदद के लिए दर-दर ना भटकना पड़े. इस मामले में भी सरकार को अगली सुनवाई के दौरान अपना जवाब दाखिल करना होगा.