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बढ़ते प्रदूषण पर HC ने कहा- गूगल मैप की तरह एप क्यों नहीं बनाती पुलिस?

हाईकोर्ट ने दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल कमेटी  की ओर से दायर रिपोर्ट को देखने के बाद कहा कि अन्य वर्षों के मुकाबले वर्ष 2015 में प्रदूषण का स्तर उतना बुरा नहीं था.

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वायु प्रदूषण को लेकर दिल्‍ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी की रिपोर्ट देखने के बाद हाईकोर्ट ने कहा है कि राजधानी में 2015 प्रदूषण के लिहाज से उतना बुरा भी नहीं रहा, जितना आम जनता सोच रही थी. यह टिप्पणी दिल्ली हाईकोर्ट ने डीपीसीसी की तरफ से दायर एक रिपोर्ट को देखने के बाद की है.

हाईकोर्ट ने दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल कमेटी (डीपीसीसी) की ओर से दायर रिपोर्ट को देखने के बाद कहा कि अन्य वर्षों के मुकाबले वर्ष 2015 में प्रदूषण का स्तर उतना बुरा नहीं था, लेकिन इसका मतलब ये बिलकुल नहीं है कि हालात बहुत अच्छे हैं.

इन महीनों में ज्यादा है वायु प्रदूषण
डीपीसीसी की रिपोर्ट बताती है कि वायु में उच्च स्तर का बेंजीन और नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड का कारण वाहन प्रदूषण रहा है. हाइकोर्ट वायु प्रदूषण की खराब हालत पर संज्ञान लिए गए एक मामले की सुनवाई कर रही है. डीपीसीसी के वैज्ञानिक ने कोर्ट को बताया कि अक्तूबर से नवंबर, दिसंबर से जनवरी और मई से जून के बीच में वायु प्रदूषण बहुत ज्यादा बढ़ जाता है.

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ज्यादा भीड़ वाली 14 जगहें सेलेक्ट
रिपोर्ट के मुताबिक, अक्तूबर-नवंबर में प्रदूषण सबसे ज्यादा होता है क्योंकि पड़ोसी राज्यों में फसल का भूसा जला दिया जाता है. वहीं मई-जून में राजस्थान से आने वाली धूल प्रदूषण के लिए जिम्‍मेदार है. दिल्‍ली ट्रैफिक पुलिस ने अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट में दायर करते हुए बताया कि 14 ऐसी जगहों को सेलेक्ट किया है, जहां सबसे ज्यादा भीड़-भाड़ रहती है.

कोर्ट ने पुलिस से पूछा ये सवाल
हाईकोर्ट ने कहा कि पुलिस गूगल मैप की तरह एप क्यों नहीं बना रही है ताकि लोगों को वैकल्पिक रूट की जानकारी मिल सकें, क्योंकि ट्रैफिक जाम के समय सबसे ज्यादा प्रदूषण होता है.

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