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दिल्ली: वायु प्रदूषण पर केंद्र और केजरीवाल सरकार को पड़ी HC की फटकार

सुनवाई के बाद अदालत ने कहा, 'न तो दिल्ली सरकार ने कुछ किया और न ही केंद्र ने इस ओर ध्यान दिया. यदि कुछ किया होता हो दिल्ली में प्रदूषण के हालात ऐसे खराब नहीं हो चुके होते.'

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दिल्ली के पर्यावरण की तुलना गैस चैंबर से कर चुकी है हाई कोर्ट
दिल्ली के पर्यावरण की तुलना गैस चैंबर से कर चुकी है हाई कोर्ट

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राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर पर दिल्ली हाई कोर्ट ने राज्य और केंद्र की सरकार को एक बार फिर कड़ी फटकार लगाई है. पिछली दफा दिल्ली को 'गैस चैंबर' बताने वाली हाई कोर्ट की बेंच ने सोमवार को चार घंटे तक चली सुनवाई के बाद कहा कि न तो राज्य और न ही केंद्र सरकार ने इस ओर कोई ध्यान दिया है.

सुनवाई के बाद अदालत ने कहा, 'न तो दिल्ली सरकार ने कुछ किया और न ही केंद्र ने इस ओर ध्यान दिया. यदि कुछ किया होता हो दिल्ली में प्रदूषण के हालात ऐसे खराब नहीं हो चुके होते.' कोर्ट ने तल्ख अंदाज में कहा कि अभी भी तमाम एजेंसिया सबक लेने को तैयार नहीं हैं.

दिल्ली सरकार ने सौंपा एक्शन प्लान
कोर्ट की कार्यवाही के दौरान दिल्ली सरकार ने अदालत में वायु प्रदूषण को लेकर अपना एक्शन प्लान सौंपा. इसमें बताया गया है कि वह तत्काल इस ओर क्या, कुछ कदम उठा रही है और उठाने वाली है. इसके साथ ही अरविंद केजरीवाल की सराकर ने लंबे समय से जुड़ी योजनाओं का प्रारूप भी कोर्ट के सामने रखा.

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गौरतलब है कि दिल्ली सरकार 1 जनवरी 2016 से दिल्ली में सम-विषम गाड़ियों के परिचालन का फॉर्मूला लेकर आ रही है. हालांकि, सरकार अभी इसे ट्रायल के आधार पर 15 दिनों के लिए भी चलाएगी, जिसकी समीक्षा के बाद इसे पूर्ण तौर पर लागू किया जाएगा.

अदालत ने दिए थे निर्देश
बता दें कि इससे पहले 3 दिसंबर को दिल्ली हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण के स्तर पर चिंता प्रकट की थी. इस दौरान अदालत ने टिप्पणी की कि राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण का वर्तमान स्तर चिंताजनक स्थिति तक पहुंच गया है और यह गैस चैंबर में रहने जैसा है.

अदालत ने केंद्र और दिल्ली सरकार से प्रदूषण के बढ़ते स्तर से निपटने के लिए विस्तृत कार्य योजनाएं पेश करने का निर्देश दिया था. जस्टि‍स बदर दुरेज अहमद और जस्टि‍स संजीव सचदेवा की बेंच ने पर्यावरण मंत्रालय और दिल्ली सरकार द्वारा दायर कार्य योजनाओं के बारे में कहा था कि ये विस्तृत नहीं हैं, क्योंकि इनमें हर प्राधिकरण की स्पष्ट जिम्मेदारी और इन्हें करने के लिए समयसीमा नहीं है. बेंच ने उन्हें 21 दिसंबर को सुनवाई की अगली तारीख पर विस्तृत कार्य योजनाएं देने का निर्देश दिया था.

और क्या कहा था पिछली सुनवाई में
अदालत ने अपनी पिछली सुनवाई में कहा था कि दिल्ली में वायु प्रदूषण के दो प्रमुख कारण धूलकण और वाहनों से निकलने वाला धुआं है. अदालत ने केंद्र और दिल्ली सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि पहले कम से कम धूल सुनिश्चित किए बगैर किसी इमारत या सड़क का निर्माण नहीं हो.

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कोर्ट ने दिल्ली सरकार को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया कि नेशनल ग्रीन ट्रि‍ब्यूनल के निर्देश के मुताबिक, लोगों द्वारा खुले में कूड़ा और पत्तियां नहीं जलाई जाएं. बेंच ने शहर प्रशासन को प्रिंट, ऑडियो और विजुअल मीडिया के जरिए इस तरह के क्रियाकलापों पर प्रतिबंध के बारे में जानकारी देने का निर्देश दिया.

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