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दिल्ली हाईकोर्ट ने प्राइवेट स्कूलों को फीस बढ़ाने की दलील पर लगाई फटकार

दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान प्राइवेट स्कूलों की एक्शन कमेटी को फटकार लगाते हुए कहा कि कोर्ट इस तरह के प्रॉक्सी मुकदमेबाजी की इजाज़त स्कूलों को नहीं देगा. किसी स्कूल को परेशानी है तो वह खुद व्यक्तिगत रूप से आकर याचिका दायर करे.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

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शिक्षकों और कर्मचारियों को 7वें वेतन आयोग के हिसाब से सैलरी देने के नाम पर निजी स्कूलों में फीस बढ़ोतरी के मामले पर हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है. हाईकोर्ट ने सोमवार को अपने उस आदेश में बदलाव करने से इनकार कर दिया है जिसमें प्राइवेट स्कूलों को फीस बढ़ाने पर रोक लगा रखी है.

दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान प्राइवेट स्कूलों की एक्शन कमेटी को फटकार लगाते हुए कहा कि कोर्ट इस तरह के प्रॉक्सी मुकदमेबाजी की इजाज़त स्कूलों को नहीं देगा. किसी स्कूल को परेशानी है तो वह खुद व्यक्तिगत रूप से आकर याचिका दायर करे. हालांकि बाद में कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 19 जनवरी की तारीख तय कर दी है.

88 बच्चों की याचिका पर हाईकोर्ट ने लगाई थी रोक

बता दें कि दायर याचिका में प्राइवेट स्कूलों ने तर्क दिया है कि फीस बढ़ाना उनका अधिकार है और इसे छीना नहीं जा सकता. 20 दिसंबर, 2017 को हाईकोर्ट ने प्राइवेट स्कूलों को 7वें वेतन आयोग लागू करने के नाम पर फीस बढ़ाने पर रोक लगा दी थी. ये फैसला कोर्ट ने एएसएन सीनियर सेकेंड्री स्कूल के 88 बच्चों की ओर से दायर याचिका पर दिया था.

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स्कूली बच्चों की तरफ से पेश हुए वकील खगेशा झा ने कोर्ट को बताया कि स्कूलों के पास पर्याप्त पैसा है, ऐसे में फीस बढ़ाने की जरूरत ही नहीं है. इसके अलावा उन्होंने कहा था कि दिल्ली के ज्यादातर प्राइवेट स्कूलों ने अपने शिक्षकों और कर्मचारियों को जब 6वें पे कमीशन का ही लाभ नहीं दिया है तो फिर 7वें वेतन आयोग के नाम पर फीस बढ़ाने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता. प्राइवेट स्कूल सिर्फ मनमाने तरीके से 7वें पे कमीशन के नाम पर अभिभावकों से सिर्फ़ फीस बढ़ाने का कोई न कोई मौका तलाशते रहते हैं.

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