कुलभूषण जाधव की पाकिस्तान के रिहाई को लेकर दायर याचिका को दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है. हाई कोर्ट ने कहा कि ये बेहद संवेदनशील मामला है, लिहाजा ये ओपन कोर्ट में सुने जाने वाला केस नहीं है. इस मामले में सरकार का पक्ष रखने के लिए पेश हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता संजय जैन के पक्ष से हम संतुष्ठ है कि सरकार कुलभूषण जाधव को लेकर अपनी कोशिशों में कोई कमी नहीं छोड़ रही है. कोर्ट ने कहा कि कुलभूषण जाधव की रिहाई को लेकर केंद्र सरकार अपनी विशेषज्ञता और अनुभव के साथ कदम उठाए.
कोर्ट ने क्या कहा
कोर्ट ने कहा कि हमें लगता है कि ये याचिका मीडिया अटेंशन पाने के लिए लगाई गई है और इस तरह की याचिकाओं को समर्थन नहीं देने की जरूरत है. जाधव की रिहाई और इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस के सामने जाधव का मामला रखने की मांग वाली याचिका पर कोर्ट ने सुनवाई से साफ-साफ इनकार कर दिया और कहा कि सरकार का काम अपने नागरिकों की सुरक्षा करना है. हमें उम्मीद है कि सरकार इस मामले में भी ऐसा ही कर रही है. हम इसे सरकार की विशेषज्ञता पर छोड़ते हैं.
इससे पहले हुई सुनवाई मे केंद्र सरकार ने हाई कोर्ट को कहा कि सरकार पहले ही पार्लियामेंट में कह चुकी है कि कुलभूषण जाधव को भारत लाने को लेकर जो भी बेहतर प्रयास हो सकते हैं, किए जा रहे हैं. इस मामले मे सरकार ही नहीं बल्कि पूरा देश एकमत है.
याचिकाकर्ता ने कहा कि ये मामला जाधव की किडनेपिंग से जुड़ा हुआ है. दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कहा कि जो प्रेयर आप कोर्ट मे लेकर आए हैं क्या आप वो सरकार के पास लेकर गए और अगर नहीं गए तो क्यों नहीं गए. आप जनहित याचिका लगा रहे है क्या, आपको पता है कि जाधव जैसे कितने मामले है जो अपहरण से जुड़े हुए है.
याचिकाकर्ता ने कहा कि हमने सरकार को एक आरटीआई लगाई थी. जिसमें हमें भारत सरकार से जवाब मिला कि इस तरह के मामलों में गृह मंत्रालय की तरफ से कोई प्रोटोकॉल फॉलो नहीं किया जाता है. कोर्ट ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि इस तरह के संवेदनशील मामलों में जब तक कोर्ट मे सुनवाई नहीं हुई, तब तक आप इसे मीडिया को कैसे दे सकते हैं.