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सत्येंद्र जैन की 11 महीने बाद रिहाई की उम्मीद टूटी, हाईकोर्ट से लगा झटका

दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन को कोर्ट से फिर झटका लगा है. दिल्ली हाईकोर्ट ने यह कहते हुए उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी कि वह प्रभावशाली व्यक्ति हैं और गवाहों तथा सबूतों पर आसर डाल सकते हैं. जैन 11 महीने से जेल में बंद हैं.

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सत्येंद्र जैन को फिर नहीं मिली जमानत (फाइल फोटो)
सत्येंद्र जैन को फिर नहीं मिली जमानत (फाइल फोटो)

आम आदमी पार्टी के नेता सत्येंद्र जैन को अदालत से बड़ा झटका लगा है और वह फिलहाल जेल से बाहर नहीं आ सकेंगे. दिल्ली हाईकोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में पूर्व मंत्री जैन की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि वह प्रभावशाली व्यक्ति हैं और वह गवाहों तथा सबूतों पर असर डाल सकते हैं. कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत के फैसले में कुछ भी गैर कानूनी ने प्रक्रिया का उल्लंघन नहीं था. जैन को ईडी ने 30 मई, 2022 को गिरफ्तार किया था. जैन केजरीवाल कैबिनेट में स्वास्थ्य, ऊर्जा और कुछ अन्य विभागों के मंत्री थे.

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हाईकोर्ट ने की ये टिप्पणी

हाईकोर्ट ने कहा, 'सीबीआई ने आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया है. वर्तमान अदालत इस स्तर पर साक्ष्य की वैधता के मुद्दे पर टिप्पणी नहीं कर सकती है. जांच जारी है. इस अदालत को यह देखना है कि क्या उचित आधार हैं. पीएमएलए के तहत बयानों में विरोधाभासों की इस स्तर पर जांच नहीं की जा सकती है. वह प्रभावशाली व्यक्ति हैं, सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं.'

कोर्ट ने कहा कि मैसर्स अकिंचन डेवलपर्स आदि के शेयरहोल्डिंग पैटर्न से पता चलता है कि एक समय था जब जैन का परिवार इन कंपनियों को नियंत्रित कर रहा था. कोर्ट ने कहा कि इस बात की व्यापक संभावना है कि कंपनियां सत्येंद्र जैन द्वारा नियंत्रित और प्रबंधित की जाती हैं. कोर्ट ने कहा कि  जैन ने पीएमएलए एक्ट के तहत जमानत की दो शर्तों को पूरा नहीं किया है इसलिए वह जमानत के हकदार नहीं हैं.

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जैन को सब पता था- कोर्ट

पिछले दिनों हुई सुनवाई पर दिल्ली हाई कोर्ट में ईडी की तरफ से कहा गया था कि आरोपियों के बयान से ये पता चलता है कि जैन ही फंड ट्रांसफर करने के बारे में सब कुछ जानते थे. ईडी ने कोर्ट में था कहा शेल कंपनियों में साल 2015 और 2016 में 1.5 करोड़ रुपये की एंट्री सत्येंद्र कुमार जैन के द्वारा की गई थी. ईडी ने मामले में आरोपी जवेंद्र मिश्रा के बयान को भी रेकॉर्ड पर लेते हुए कहा कि इस मामले में मोरस ओप्रेंडी यह था कि पैसा हवाला ऑपरेटर्स ( कोलकता बेस्ड शैल कंपनियों ) को भेजना था. यह पूरा मामला मनी लांड्रिंग का बनता है.

 

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