दिल्ली हाईकोर्ट मे याचिका लगाई गई थी कि कन्हैया 6 महीने के लिए मिली अंतरिम जमानत की शर्तों का खुलेआम उल्लंघन कर रहा है. लिहाजा उसकी जमानत खारिज की जानी चाहिए. याचिका में 3 और 9 मार्च के कन्हैया के उन भाषणों को आधार बनाया गया था कि जिसमें कथित तौर पर उसने आर्मी के जवानों को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी.
पिछली सुनवाई पर दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने कहा की हम कन्हैया कुमार की जमानत खारिज करने के पक्ष में नहीं हैं. हम नहीं चाहते कि उनकी जमानत खारिज नहीं की जाए. कन्हैया फिलहाल 6 महीने की जमानत पर है जो 2 सितंबर को खत्म हो रही है. पुलिस ने अपने हलफनामे में कहा था कन्हैया ने जमानत की शर्तों का उल्लंघन किया है जिसे सरकार ने भी माना. लेकिन पुलिस लगातार कोर्ट को ये बताने से बचती रही कि वो कन्हैया की जमानत खारिज करने के पक्ष में हैं या नहीं. कोर्ट इस पर काफी नाराज भी दिखा कि आखिर जांच एजेंसी अपना स्टैंड कोर्ट को क्यों नहीं बता पा रही है.
पुलिस ने सिस्टम का मजाक बनाया
कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए पुलिस को कहा था कि 'आपने सिस्टम का मजाक बना कर रख दिया है. जांच एजेंसी क्यों तय नहीं कर पा रही है की कन्हैया की जमानत खारिज होनी चाहिए या नहीं. आप अपने हलफनामे में कह रहे हैं कि कन्हैया जमानत की शर्तों का उल्लंघन कर रहा है, उसने भड़काऊ भाषण दिए हैं. और फिर आप कह रहे हैं कि कोर्ट तय करे कि जमानत खारिज होनी चाहिए या नहीं. कोर्ट को जो करना है वो करेगी लेकिन पुलिस अपना स्टैंड कोर्ट को साफ साफ क्यों नहीं बता पा रही है.
पुलिस की जगह आना खुद ही आना पड़ा
पिछली सुनवाई मे याचिकाकर्ता ने कोर्ट को कहा था कि 3 मार्च और 9 मार्च को दिया गया भाषण साफ तौर जमानत की शर्तों का उल्लंघन है. दिल्ली पुलिस को खुद कोर्ट आकर कन्हैया की जमानत खारिज करने के लिए याचिका लगानी चाहिए थी लेकिन जब पुलिस ने ये नहीं किया तो खुद मुझे कोर्ट आना पड़ा.
LG के वकील रहे नदारद
इस मामले में एक और दिलचस्प चीज सामने आई है. कन्हैया के केस में उपराज्यपाल नजीब जंग की तरफ से नियुक्त किये गए 2 स्पेशल पब्लिक प्रोसीक्यूटर गुरुवार को कोर्ट में पेश नहीं हुए क्योंकि हाल ही में LG और दिल्ली सरकार के अधिकारों को लेकर आए फैसले के बाद अब LG वही वकील भेज सकते हैं जिन पर काउंसिल ऑफ मिनिस्टर्स की सहमति हो. ये दोनों वकील LG ने खुद नियुक्त किए थे. लिहाजा ये गुरुवार को कोर्ट में पुलिस का पक्ष रखने के लिए मौजूद नहीं थे.