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डीयू में फोटोकॉपी और पेज बेचने के खिलाफ दायर याचिका HC में खारिज

कोर्ट ने ये एक बेहद महत्वपूर्ण फैसला दिया है, जिसका भारत में कॉपी राइट एक्ट पर भी काफी असर आने वाले वक़्त मे पड़ सकता है. कोर्ट ने इस मामले में फोटोकॉपी पर लगाए गए उस बैन को भी रद्द कर दिया है,जिसके तहत इन तीनों प्रकाशकों की किताबों से चैप्टर फोटोकॉपी करने पर रोक लगाई गई थी. कोर्ट का मानना है कि शिक्षा एक सामाजिक जरूरत है और इसमें कॉपी राइट नहीं लगाया जाना चाहिए.

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दिल्ली हाई कोर्ट का अहम फैसला
दिल्ली हाई कोर्ट का अहम फैसला

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दिल्ली यूनिवर्सिटी में फोटोकॉपी की दुकान चलाने वालों और वहां पढ़ने वाले छात्रों को राहत देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने डीयू में किताबों की फोटोकॉपी और पेज बेचने के खिलाफ तीन अंतरराष्ट्रीय प्रकाशकों की तरफ से दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया है.

कोर्ट ने ये एक बेहद महत्वपूर्ण फैसला दिया है, जिसका भारत में कॉपी राइट एक्ट पर भी काफी असर आने वाले वक़्त मे पड़ सकता है. कोर्ट ने इस मामले में फोटोकॉपी पर लगाए गए उस बैन को भी रद्द कर दिया है,जिसके तहत इन तीनों प्रकाशकों की किताबों से चैप्टर फोटोकॉपी करने पर रोक लगाई गई थी. कोर्ट का मानना है कि शिक्षा एक सामाजिक जरूरत है और इसमें कॉपी राइट नहीं लगाया जाना चाहिए.

नवंबर 2012 में कोर्ट ने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स नार्थ कैंपस में रामेश्वरी फोटोकॉपी पर रोक लगा दी थी. इस मामले में प्रकाशक ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, कैंब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस और टेयलर एंड फ्रांसिस की तरफ से याचिका दायर की गई थी. इन तीनों की तरफ से दायर याचिकाओं में आरोप लगाया गया था कि किस्योक उनके कॉपीराइट का उल्लंघन कर रहे हैं. वहीं, डीयू के उकसाने पर छात्र उनकी किताबों की फोटोकॉपी करवा रहे हैं, जिससे उनकी किताबें बिक नहीं रही हैं.

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इस मामले में डीयू ने फोटोकॉपी की दुकान चलाने वालों का समर्थन करते हुए कहा था कि किताबों की फोटोकॉपी करवाने से छात्रों को पढ़ाई सस्ती पढ़ती है. इसलिए उसे कॉपी राइट का उल्लंघन नहीं मानना चाहिए. वहीं, कई किताबें कॉफी महंगी भी हैं. कॉपीराइट एक्ट 1957 के तहत शिक्षा सहित किसी अन्य अच्छे उद्देश्य के लिए किताबों की फोटोकॉपी करवाना कॉपी राइट का उल्लंघन नहीं है. छात्र अपनी परीक्षा की तैयारी के लिए इन किताबों की फोटोकॉपी करवाते हैं और वो इसका व्यवसायिक लाभ नहीं ले रहे हैं.

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