दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा दिए गए एक आदेश के बाद अब उन वकीलों के लिए यह राहत की खबर है जो अपने घरों में बच्चे या सीनियर सिटीजन होने के मद्देनजर कोविड के लगातार बढ़ते मामलों के चलते कोर्ट में चल रही फिजिकल हियरिंग में पेश नहीं हो पा रहे थे. दिल्ली हाई कोर्ट ने आदेश दिया है कि किसी भी वकील को फिजिकल हियरिंग में पेश होने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है.
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि फिलहाल दिल्ली में कोविड का संक्रमण फैला हुआ है. ऐसे में अगर कोई वकील वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपने मामले की वकालत करना चाहता है तो उसे फिजिकल हियरिंग में पेश होने के लिए दबाव नहीं डाला जा सकता. कोर्ट का यह आदेश उस वक्त आया है जब दिल्ली में करोना की तीसरी लहर है और कोरोना के नए मामले सामने आ रहे हैं.
दिल्ली हाई कोर्ट ने ये आदेश एक वकील द्वारा लगाई गई उस याचिका पर दिया है जिसमें फिजिकल हियरिंग में पेश न होने पर निचली अदालत ने उस वकील की याचिका को खारिज किया था. साथ ही फिजिकल हियरिंग में पेश होने के आदेश दिए थे. जबकि वकील ने निचली अदालत को बताया कि उसके घर में माता पिता सीनियर सिटीजन हैं. लिहाजा वह कोविड के हालात को देखते हुए फिजिकल हियरिंग के बजाय मामले की सुनवाई वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए करना चाहता है. लेकिन कोर्ट ने उसकी अर्जी को खारिज कर दिया था. इस मामले में कोर्ट ने तर्क दिया था कि जिस मामले पर सुनवाई चल रही है उसमें लंबी बहस होनी है. लिहाजा दोनों पक्षों का फिजिकल हियरिंग में पेश होना जरूरी है.
निचली अदालत के आदेश के इतर दिल्ली हाई कोर्ट ने जो आदेश दिया है, उसमें कहा है कि अगर कोई वक़ील वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मामले की सुनवाई करना चाहता है तो निचली अदालत इससे इनकार नहीं कर सकती. इसके अलावा अगर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए तय की गई सुनवाई में वकील पेश नहीं होता है तो उसके खिलाफ कानून के तहत कोई भी कार्यवाही करने के लिए कोर्ट स्वतंत्र है. लेकिन वकील को जबरन फिजिकल हियरिंग में पेश होने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है. अगर वकील वर्चुअल मोड में सुनवाई चाहता है तो कोर्ट इससे इनकार नहीं कर सकता है.