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आप ब्रांड की MRP तय क्यों नहीं कर रहे....नई शराब नीति पर हाईकोर्ट की दिल्ली सरकार को फटकार

कोर्ट ने कहा, इसका मतलब ये है कि दिल्ली के लोगों को शराब नहीं मिलेगी. आप ब्रांड की एमआरपी तय क्यों नहीं कर रहे हैं. वहीं, दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील ए एम सिंघवी और राहुल मेहरा ने निर्देश देने से पहले समय मांगा. कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 11 नवंबर को करेगा.

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प्रतीकात्मक फोटो
प्रतीकात्मक फोटो
स्टोरी हाइलाइट्स
  • दिल्ली के लोगों को शराब नहीं मिलेगी- दिल्ली हाईकोर्ट
  • नई शराब नीति के खिलाफ कोर्ट में दायर की गई याचिकाएं

दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली सरकार से पूछा कि राज्य की आबकारी नीति 2021-22 के तहत शराब के उन ब्रांड की संख्या के बारे में जानकारी दे, जिनका एमआरपी (अधिकतम खुदरा मूल्य) तय किया गया है, या जिनका मूल्य अभी तय किया जाना है. इतना ही नहीं हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा कि क्या किसी शराब ब्रांड का पंजीकरण पहले ही किया जा चुका है
 
जस्टिस रेखा पल्ली की बेंच ने कहा, इस मामले पर हल से पहले मेरा विचार है कि दिल्ली सरकार के लिए यह आवश्यक है कि वह कोर्ट को उन शराब ब्रांड की संख्या के बारे में बताए, जिनके एमआरपी तय हैं, और उनके बारे में भी बताए, जिनके एमआरपी तय होने हैं. यह भी बताएं कि क्या किसी ब्रांड का पंजीकरण पहले ही किया जा चुका है या नहीं. 

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'ब्रांड की एमआरपी तय क्यों नहीं कर रहे'
कोर्ट ने कहा, इसका मतलब ये है कि दिल्ली के लोगों को शराब नहीं मिलेगी. आप ब्रांड की एमआरपी तय क्यों नहीं कर रहे हैं. वहीं, दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील ए एम सिंघवी और राहुल मेहरा ने निर्देश देने से पहले समय मांगा. कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 11 नवंबर को करेगा. 

हाईकोर्ट 16 लोगों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था, जिन्होंने खुदरा शराब दुकानों के संचालन के लिए लाइसेंस के लिए सफल बोली लगाई. याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट से दिल्ली सरकार के एक नवंबर, 2021 से लाइसेंस शुल्क वसूलने के फैसले को अवैध घोषित करने की मांग की है. 

ब्रांड के एमआरपी अभी तय नहीं- याचिकाकर्ता  
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह और वकील तन्मय मेहता ने दलील दी कि सरकार याचिकाकर्ताओं को एक नवंबर से लाइसेंस शुल्क का भुगतान करने का निर्देश नहीं दे सकती. लाइसेंस शुल्क का भुगतान व्यवसाय शुरू होने पर निर्भर करता है. उन्होंने कोर्ट में कहा कि प्राधिकारियों ने अधिकांश ब्रांड के एमआरपी तय नहीं किए हैं और उन्हें शुल्क का भुगतान करने के निर्देश देने का कोई अधिकार नहीं है. 

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वहीं, सिंघवी और मेहरा ने इसका विरोध करते हुए कहा, अधिकांश ब्रांडों की एमआरपी पहले से ही तय है और यह एक सतत प्रक्रिया है. इसमें देरी के लिए सरकार जिम्मेदार नहीं है. वहीं, एक याचिका में कहा गया है कि 2021-22 की नीति के तहत दिल्ली सरकार द्वारा ब्रांडों के पंजीकरण और एमआरपी के निर्धारण की प्रक्रिया शुरू करने में बहुत देरी हुई है.   

नई नीति के खिलाफ दायर की गईं कई याचिकाएं
इसमें दावा किया गया है कि 30 अक्टूबर तक एक भी ब्रांड न तो रजिस्टर्ड हुआ था और न ही किसी की एमआरपी नई नीति के तहत तय नहीं हुई थी. दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति के खिलाफ हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गई हैं. इनमें नई नीति को अवैध, अनुचित, मनमाना और दिल्ली उत्पाद अधिनियम, 2009 का उल्लंघन कहा गया है. जुलाई में, कोर्ट ने एक याचिका पर नई उत्पाद नीति पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.

 

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