दिल्ली हाई कोर्ट से गांधी परिवार और आदमी पार्टी को झटका लगा है. कोर्ट ने उन याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिनमें आयकर अधिकारियों के टैक्स निर्धारण को सेंट्रल सर्किल में ट्रांसफर करने के फैसले को चुनौती दी गई थी.
हाई कोर्ट ने आयकर प्राधिकरण के टैक्स ट्रांसफरिंग असेसमेंट रिपोर्ट को बरकरार रखा है. यानी अब प्राधिकरण दस्तावेजों की और गहन जांच करेगा ताकि मामले की तह तक पहुंचा जाए और सेंट्रल सर्किल में हुए ट्रांजैक्शन यानी लेनदेन के असली आदमी की पहचान हो सके.
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा, कांग्रेस के दिग्गज नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और आम आदमी पार्टी से जुड़े नामालूम लोगों से हुए लेनदेन की तह में जाते हुए सही आदमी की पड़ताल और पहचान होगी.
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि नामालूम लोगों से लेनदेन का कोई बुनियादी या कानूनी अधिकार किसी नागरिक को नहीं है. इसी वजह से असेसमेंट रिपोर्ट को बेहतर तालमेल और कार्रवाई के लिए ट्रांसफर करने में कोई गलती नहीं हुई है.
सेंट्रल सर्किल आयकर महानिदेशक के अधीन आता है और इसका नेतृत्व मुख्य आयकर आयुक्त करते हैं. गांधी परिवार ने अदालत के समक्ष तर्क दिया था कि आयकर निर्धारण केवल दुर्लभ मामलों में ही केंद्रीय सर्कल में स्थानांतरित किया जाता है.
आयकर विभाग ने की थी इनकी जांच-
सोनिया गांधी, राहुल गांधी, संजय गांधी मेमोरियल ट्रस्ट, राजीव गांधी फाउंडेशन, राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट, यंग इंडियन, जवाहर भवन ट्रस्ट.
आयकर विभाग ने की गई तलाशी और बरामदगी के आधार पर गांधी परिवार के आईटी आकलन को केंद्रीय सर्किल में स्थानांतरित करने का निर्णय लिया था. गांधी परिवार ने इसी फैसले को मनमाना बताते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया.
आईटी आकलन को सेंट्रल सर्कल में ट्रांसफर करने का क्या मतलब है?
-सेंट्रल सर्किल आईटी विभाग के इन्वेस्टिगेशन विंग की तारीफ करते हैं.
-सेंट्रल सर्किल तलाशी के दौरान जुटाए गए सबूतों को अपने हाथ में लेगा और मामले को तार्किक परिणति तक ले जाएगा.
-गांधी परिवार के खिलाफ आईटी जांच अब सेंट्रल सर्किल द्वारा पूरा किया जाएगा और आवश्यक दंड आदेश पारित किए जाएंगे.
-टैक्स चोरी के मामलों में जांच शाखा द्वारा अभियोजन की कार्यवाही शुरू की जा सकती है.