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HC की दिल्ली सरकार को फटकार, कहा- सरकारी स्कूल में हुए सुधार दिख क्यों नहीं रहे

हाई कोर्ट सरकारी स्कूल की एक छात्रा की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें कहा गया है कि बेंच व पर्याप्त कमरे न होने के चलते उसे एक दिन छोड़कर अगले दिन स्कूल जाना पड़ता है.

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दिल्ली सरकार को लगाई फटकार
दिल्ली सरकार को लगाई फटकार

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सरकारी स्कूलों मे कई गुना बढ़ी हुई छात्रों की संख्या और खराब इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को जमकर लताड़ा है. कोर्ट ने कहा है की जिस बेहतर शिक्षा की सरकार मीडिया मे बढ़चढ़ कर बात करती है.

जमीनी सच्चाई उससे बहुत अलग है, और व्यावहारिक रूप में सरकार के वो प्रयास नजर नहीं आ रहे हैं. सोनिया विहार इलाके के एक सरकारी स्कूल में 4529 छात्राओं के लिए कुल 41 कमरे हैं, वहीं, इन छात्रों के लिए यहां केवल 15 शौचालय है. यह जानकारी दिल्ली सरकार, शिक्षा निदेशालय ने हाईकोर्ट में दी है.

'शिक्षा के स्तर को बदलते देखना चाहते हैं'
हाई कोर्ट सरकारी स्कूल की एक छात्रा की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें कहा गया है कि बेंच व पर्याप्त कमरे न होने के चलते उसे एक दिन छोड़कर अगले दिन स्कूल जाना पड़ता है. शिक्षा निदेशालय ने जो जवाब दाखिल किया उससे चौंकाने वाले तथ्य सामने आए. दायर हलफनामे के अनुसार ये स्कूल सुबह व शाम दो शिफ्ट में चलता है. यहां कुल 41 कमरे हैं और सुबह की पाली में छात्राएं व शाम की पाली में 3190 छात्र है. छात्रों के लिए 13 यूरिनल और लड़कियों के लिए सिर्फ 4 शीट है. रिपोर्ट पर गंभीरता दिखाते हुए कोर्ट ने दिल्ली सरकार को कड़ी फटकार लगाई.

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कोर्ट ने कहा कि वह शिक्षा के स्तर को बदलता हुआ देखना चाहते हैं. लेकिन जैसा सरकार कह रहीं है जमीन पर ऐसा कुछ होता उन्हें दिख नहीं रहा. 41 कमरों के बारे में जानकारी मांगते हुए कोर्ट ने पूछा की क्या ये सभी क्लासरूम हैं या फिर इनमें प्रधानाचार्य, लाइब्रेरी या स्टाफ रूम शामिल है।कोर्ट ने कहा बच्चों की जो संख्या बताई जा रहीं है ऐसे में करीब 150 बच्चे एक क्लास में आते होंगे.

'पूरी जानकारी दे दिल्ली सरकार'
कोर्ट ने दिल्ली सरकार, शिक्षा निदेशालय को निर्देश दिया की एक हफ्ते के भीतर सचिव (शिक्षा) को इस बारे में पूरी जानकारी दें. सचिव खुद व्यक्तिगत रूप से स्कूल का निरीक्षण करें और इस बारे में एक हफ्ते में रिपोर्ट तैयार कर दायर करें. कोर्ट ने ये भी बताने को कहा कि क्या ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था कर इन बच्चों को आसपास के स्कूलों में पढऩे के लिए भेजा जा सकता है.

क्या है मामला?
दरअसल सोनिया विहार के स्कूल में बैठने को बेंच कम पड़ जाते हैं. जिससे छात्र रोजाना स्कूल में नहीं जा सकते। छात्रों को इवन ओड के हिसाब से एक दिन छोड़कर स्कूल जाना पड़ता है, स्कूल में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. शौचालयों में गंदगीहै, पीने का साफ पानी नहीं है. छात्रों की संख्या अधिक होने से उन्हें पढऩे में परेशानी आ रही है. सोनिया विहार से सटे खजूरी खास सरकारी स्कूल में सिंतबर 2009 में हुई भगदड़ का हवाला देते हुए याचिका मे कहा गया है कि हादसे में कई छात्राएं घायल हुई थी. ऐसे में सोनिया विहार के स्कूल में बच्चों की ज्यादा संख्या होने से अनहोनी होने का खतरा बना हुए है. और कोर्ट दिल्ली सरकार को बच्चों के लिए नई कक्षाएं बनवाने या अलग से स्कूल में पढ़ाई की व्यवस्था करने का निर्देश जारी करें.

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