दिल्ली सरकार की 'फरिश्ते' स्कीम पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सवाल उठाए हैं. कोर्ट ने कहा कि इस स्कीम से 10 लोग फायदा उठा रहे हैं, तो 40 इसका दुरुपयोग कर रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि फरिश्ते स्कीम का गलत इस्तेमाल दलालों के माध्यम से हो रहा है, जिसे रोकने और उस पर तुरंत ध्यान देने की दिल्ली सरकार को जरूरत है, नहीं तो ये पूरी स्कीम ही दलालों की भेंट चढ़ जाएगी और आम लोगों को मदद मिल ही नहीं पाएगी.
कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर कोई व्यक्ति बाथरूम में गिर जाता है तो दूसरा व्यक्ति अस्पतालों में उसको भर्ती करने के लिए दबाव बनाता है. कोर्ट ने कहा कि सरकार की फरिश्ते स्कीम अच्छी है लेकिन इसका फायदा जरूरतमंद लोगों को मिलना चाहिए न कि दलालों को. कोर्ट ने ये टिप्पणी अस्पतालों में साफ-सफाई को लेकर लगाई गई एक याचिका की सुनवाई के दौरान की.
कोर्ट का मानना था कि इस स्कीम का सीधा और पूरा लाभ उन लोगों को मिलना चाहिए, जिनकी सड़क दुर्घटना के दौरान मदद करने से लोग कतराते हैं और जिसके चलते कई बार दुर्घटना के शिकार व्यक्ति को समय पर इलाज न मिल पाने या अस्पताल न पहुंच पाने के कारण अपनी जान गंवानी पड़ती है.
दिल्ली सरकार यह दावा करती आ रही है कि अपनी फरिश्ते स्कीम के चलते अब तक 3000 लोगों की जान दुर्घटना के दौरान समय पर अस्पताल पहुंचाने वाले फरिश्तों के जरिए बचा ली गई है. हाल ही में दुर्घटनाग्रस्त लोगों की जान बचाने वाले कई लोगों को सरकार द्वारा सम्मानित भी किया गया. दिल्ली सरकार अब तक इस स्कीम पर करोड़ों रुपए खर्च कर चुकी है.
दिल्ली सरकार अपनी इस स्कीम का बढ़-चढ़कर प्रचार भी कर रही है जिसमें 'फरिश्ते बनिए' की टैगलाइन दी गई है. दिल्ली में जगह-जगह लगे बैनर और पोस्टर में केजरीवाल की तस्वीर को भी साथ में दिखाया गया है और दुर्घटनाग्रस्त लोगों को अस्पताल तक पहुंचाने की दिल्ली सरकार द्वारा अपील भी की गई है.