गेस्ट टीचर्स की भर्ती करने के मामले में हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को जमकर फटकार लगाई है, क्योंकि गेस्ट टीचर्स की नियुक्ति को लेकर तो दिल्ली सरकार गंभीर है, लेकिन नियमित टीचरों की भर्ती पर सरकार का रुख गोलमोल ही है.
NGO सोशल ज्यूरिस्ट द्वारा दायर की गई अवमानना याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार को लताड़ लगाई. याचिकाकर्ता का कहना है कि हाइकोर्ट के आदेश के बावजूद सालों से शिक्षकों के खाली पदों को सरकार नहीं भर रही है.
डीडीएसएसबी ने पहले 8,914 नियमित शिक्षकों की भर्ती का विज्ञापन जारी किया, लेकिन फिर उसे वापस ले लिया गया. ऐसे में जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. हाइकोर्ट ने दिल्ली सरकार से सवाल किया कि जब उसने गेस्ट टीचर्स के लिए भर्तियां निकालीं तो नियमित शिक्षकों के लिए भर्ती का आवेदन क्यों नहीं जारी किया. हाईकोर्ट ने कहा कि नियमित शिक्षकों के पद वर्षों से खाली पड़े हैं, ऐसे में सरकार सिर्फ गेस्ट टीचर्स के लिए ही भर्ती क्यों निकाल रही है? इसके अलावा कोर्ट ने सरकारी स्कूलों के लिए डीएसएसबी द्वारा निकाली गई 8,914 नियमित शिक्षकों की भर्ती के बारे में भी सरकार को स्थिति साफ करने को कहा है.
इससे पहले हाईकोर्ट दिल्ली सरकार की उस मांग को खारिज कर चुका है, जिसमें 8 हजार नए गेस्ट टीचर्स की नियुक्ति की इजाजत मांगी गई थी. कोर्ट का कहना है कि तब तक सरकार को नए गेस्ट टीचर्स की नियुक्ति की इजाजत नहीं दी जा सकती जब तक नियमित शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू नहीं की जाती. सरकार ने कोर्ट द्वारा गेस्ट टीचर्स को नियमित करने और नई नियुक्ति पर रोक लगाने संबंधी अपने 27 सितंबर के आदेश पर पुनर्विचार करने की मांग की थी.
सरकार का तर्क है कि उन्होंने शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए वर्षों से बच्चों को पढ़ाते आ रहे गेस्ट टीचर्स को नियमित करने के लिए विधानसभा में विधेयक पारित किया. लेकिन इस विधेयक को अब तक उपराज्यपाल ने मंजूरी नहीं दी है.
ऐसे में उसे 8 हजार गेस्ट टीचर्स की नियुक्ति की इजाजत दी जाए. मामले की अगली सुनवाई 20 नंवबर को होगी.