दिल्ली हाईकोर्ट ने उम्रकैद की सजा को पलटते हुए 60 साल की महिला से रेप और हत्या के मामले में आरोपी को बरी कर दिया. आरोपी मृत महिला को मां कहकर बुलाता था.
इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने महिला के साथ जबरन सेक्स और हत्या के मामले में अच्छेलाल को उम्रकैद की सजा सुनाई थी.
न्यायाधीश प्रदीप नंद्राजोग और मुक्ता गुप्ता की बेंच ने कहा कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से यह साबित हो गया है कि महिला ने संबंध बनाने से पहले बड़ी मात्रा में शराब का सेवन किया था.
खंडपीठ ने कहा, 'यदि अच्छेलाल रेप के अपराध का दोषी है, तो उसे हत्या का आरोपी नहीं कहा जा सकता, क्योंकि उसका ऐसा कोई इरादा नहीं था और ना ही उसे जानकारी थी कि इस तरह के संबंध से महिला की मौत हो सकती है.'
अदालत ने इसके साथ ही अच्छे लाल को रेप के आरोप से बरी करते हुए कहा कि आईपीसी की धारा 376 के तहत महिला की उम्र 60 साल से अधिक थी और यह रजोनिवृत्ति की समय सीमा से ज्यादा है.
इसी आधार पर जस्टिस प्रदीप नंद्राजोग और जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने रेप के आरोपी अच्छेलाल (49) को बरी कर दिया. इससे पहले निचली अदालत ने अच्छेलाल को दोषी मानते हुए सजा सुनाई थी.
कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए वरिष्ठ वकील वृंदा ग्रोवर ने सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि आखिर किस आधार पर कोर्ट इस नतीजे पर पहुंची कि यह रेप का मामला नहीं है. इससे रजोनिवृत्ति का क्या संबंध है.
गौरतलब है कि राजधानी दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 की घटना के बाद देश में रेप से जुड़े कानूनों में बड़े बदलाव किए गए. लेकिन कोर्ट का ये फैसला हैरतअंगेज है.
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि धारा 376 के तहत महिला के साथ जबरन संबंध दंड योग्य है. लेकिन इस मामले में महिला की उम्र 65 से 70 के बीच है. यानी वह रजोनिवृत्त हो चुकी है. ऐसे में बनाया गया संबंध आक्रामक हो सकता है, पर इसे जबरन बनाया गया संबंध नहीं कहा जा सकता.
कोर्ट की इन दलीलों से स्पष्ट है कि अगर कोई महिला रजोनिवृत्त हो चुकी है तो उसे दुष्कर्म पीड़ित नहीं माना जा सकता.