दिल्ली चुनाव आयोग और राजनीतिक पार्टियों के तैयारियों से संकेत मिल रहा है की दिल्ली नगर निगम चुनाव 2022 की घोषणा कभी भी हो सकती है. लेकिन सबसे बड़ा पेंच ये है कि दिल्ली म्युनिसिपल कॉरपोरेशन एक्ट के तहत दिल्ली नगर निगम का साल अप्रैल से शुरू होता है और 31 मार्च को खत्म होता है. और इतना ही नहीं एक्ट में प्रावधान है की पहले साल महिला पार्षद महापौर के तौर पर चुनी जाएगी. ऐसे में दिसंबर में निगम चुनाव होने की स्थिति में सबसे बड़ा संवैधानिक संकट खड़ा हो सकता है.
अगर दिल्ली राज्य चुनाव आयोग दिसंबर में चुनाव कराता है तो फिर चुनी जाने वाले महिला महापौर का कार्यकाल बहुत कम (साढ़े 3 महीने) ही रहेगा. एमसीडी के 5 साल के कार्यकाल में 5 बार ही महापौर का चुनाव होने का प्रावधान है ऐसे में दूसरा संकट उठ खड़ा होगा कि साल 2026 में महापौर का चुनाव होगा भी या नहीं.
निगम मामलों के जानकार जगदीश मंगाई का कहना है ऐसी स्थिति 1997 में आई थी जब एमसीडी के चुनाव फरवरी महीने में हुए थे और एमसीडी के सदन के गठन की कवायद भी की गई. उस वक्त एमसीडी के सदन का गठन 1 महीने तक नहीं किया गया था. पार्षदों को अप्रैल महीने में शपथ दिलाई गई थी और महापौर का चुनाव भी अप्रैल महीने में ही हुआ था यानी फरवरी महीने में चुने गए पार्षद 1 महीने तक सदन से दूर रहे थे.
एमसीडी के मेयर जय प्रकाश का कहना है की "अभी लग रहा है की दिसंबर के आखिर में या जनवरी के पहले सप्ताह में निगम चुनाव हो जायेंगे और ऐसा होने की स्थिति में पहली चुनी गई महिला मेयर का कार्यकाल बहुत कम यानी 1 साल नहीं बल्कि कुछ ही महीने में खत्म हो जाएगा."
डीएमसी एक्ट की धारा 2 (67) के मुताबिक एमसीडी का अप्रैल माह के प्रथम दिन से वर्ष शुरू होता है और 31 मार्च को साल खत्म होता है. डी एम सी की धारा 4 (1) में उल्लेख किया गया है कि चुनाव के बाद एमसीडी के सदन के प्रथम अधिवेशन के दिन से 5 साल तक उसका कार्यकाल होगा लेकिन एमसीडी सचिवालय एक सदन के कार्यकाल में महापौर का छठा चुनाव नहीं कराता है. लिहाजा साल 2026 में महापौर का चुनाव नहीं हो सकेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि एमसीडी के 5 साल के कार्यकाल में 5 बार ही महापौर के चुनाव का प्रावधान है.