राजधानी दिल्ली की जिस संसद में केंद्र सरकार नदियों के अस्तित्व को बचाने के लिए कानून बनाने की बात कर रही है, उसी संसद से कुछ किलोमीटर की दूरी पर सरकार की नाक के नीचे बिना किसी रोक-टोक के युमना नदी के किनारे धड़ल्ले से अवैध निर्माण हो रहा है.
यमुना नदी का काफी हिस्सा अवैध निर्माण अपनी चपेट में ले चुका है. बता दे कि दिल्ली में अवैध निर्माण को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में मॉनिटरिंग कमेटी बनाई थी, लेकिन उसके बाद भी दिल्ली में अवैध निर्माण थमने का नाम नहीं ले रहा है.
ओखला के युमना-खादर इलाके में धड़ल्ले से चल रहे अवैध निर्माण का आलम ये है कि लोगों ने युमना नदी को मलबे से भरकर घर बनने शुरू कर दिए हैं. जिसके बाद मॉनिटरिंग कमेटी को लेकर सियासत होने लगी है. यमुना खादर इलाके में हो रहे अवैध निर्माण को लेकर मॉनिटरिंग कमेटी के अध्यक्ष भूरेलाल ने कहा कि साउथ एमसीडी से इसकी कई बार शिकायत हो चुकी है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.
मॉनिटरिंग कमेटी के अध्यक्ष ने कहा कि राजधानी दिल्ली में जो अवैध निर्माण हो रहा है, उसके लिए एमसीडी, दिल्ली सरकार और डीडीए तीनों जिम्मेदार हैं. उन्होंने कहा कि दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने मॉनिटरिंग कमेटी की शिकायत पर गौर नहीं किया. एमसीडी की सत्ता में बीजेपी है, जब मनोज तिवारी से बात की तो उन्होंने मॉनिटरिंग कमेटी पर ही सवाल खड़े कर दिए और कहा, मॉनिटरिंग कमेटी को भंग कर देना चाहिए.
बता दें कि दिल्ली में पिछले कई वर्षों से सीलिंग और अवैध निर्माण का जिन्न लोगों के साथ नेताओ के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है. नेताओं की नजर में मॉनिटरिंग कमेटी हमेशा खटकती रही है. दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी कई बार कह चुके हैं कि वो दिल्ली की सत्ता में आते ही मॉनिटरिंग कमेटी को भंग कर देंगे.