ये बात अब छुपी हुई नहीं है कि अनमोल की मौत में ड्रग्स का एक अहम रोल है और इसी वारदात के बाद एक बार फिर ये बात पूरे शहर में बहस का मुद्दा बनी हुई है कि आखिर दिल्ली और उसके आसपास के वो कौन से इलाके हैं जहां नशे की वो खेप मिलती है, जिसे धड़ल्ले से रात की पार्टियों में इस्तेमाल किया जाता है.
यूं तो देश की राजधानी दिल्ली में पुलिस की कोई कमी नहीं, हर गली हर चौराहे और हर रास्ते पर आपको पुलिसवालों से तैनात एक जिप्सी आसानी से दिख जाएगी. मेट्रो स्टेशन हों या दिल्ली की खास मार्केट या फिर कोई पॉश इलाका पीसीआर गाड़ियां या पुलिस की पिकेट्स आसानी से दिख जाएगी.
लेकिन पुलिस की ये मौजूदगी हाथी के दांत की तरह सिर्फ दिखाने भर की है. सच तो ये है कि पुलिस के इर्द गिर्द ही हर धंधा हो रहा है. चाहे वो नशे में डूबी बस्तियां हों या फिर मदहोशी के अंधेरे में गुम डिस्कोथेक या फिर पब.
ये दिल्ली का वो सच है, जिससे यहां का बच्चा-बच्चा अच्छी तरह वाकिफ है. नशे की खुराक की फिराक में घूमने वाले लोगों को अच्छी तरह पता है कि दिल्ली के ऐसे कौन से ठिकाने हैं, जहां जाकर उनकी तलाश खत्म हो सकती है. लेकिन अगर कोई नहीं जानता तो वो शायद पुलिस ही है.
अनमोल की मौत कैसे हुई? इस पर बेशक सस्पेंस बना हुआ है. लेकिन इस बात को तो कोई नहीं झुठला सकता कि जिस पार्टी के बाद अनमोल की मौत हुई, वहां ड्रग्स का इस्तेमाल हुआ था और इसी घटना ने एक बार फिर दिल्ली के उस तबके को झकझोरा है, जिसकी तरफ जुर्म के सिलसिले में कोई आंख उठाकर भी नहीं देखता. वो है पढ़े-लिखे और पैसे वालों की जमात.
ये बात बेशक छुपी हुई नहीं है कि राजधानी में कई रईसजादों के साहबजादे महंगे नशे की तलाश में अक्सर नोएडा से लेकर गुड़गांव तक भटकते हुए देखे जाते हैं. कई बार देखा गया है कि ऐसे भटकते हुए लोगों का वास्ता उन ड्रग डीलर से हो जाता है जो दिल्ली की गली-गली में बिक रहे नशे से भी अच्छी तरह वाकिफ होते हैं.
कनॉट प्लेस
पहाड़ गंज
डिफेंस कॉलोनी मार्केट
लाजपत नगर मार्केट
खान मार्केट
पीवीआर साकेत
गुड़गांव
नोएडा सेक्टर 18 की मार्केट
ये कुछ ऐसे ठिकाने हैं. जहां अक्सर ऐसे जरूरतमंद लोगों का जमघट देखा जाता है, जिन्हें मदहोशी में चूर होने के लिए नशे की जरूरत होती है. और इन्हीं ठिकानों पर पहुंचकर उनकी जरूरत पूरी हो जाती है.
डॉयरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इन्टेलीजेंस ने दिल्ली में कई बार हाई प्रोफाइल इंटरनेश्नल ड्रग रैकेट का पर्दाफाश किया और करीब 2500 करोड़ रुपये से ज्यादा की ड्रग्स जब्त की है. जिसमें कोकीन, हशीश, हेरोइन, चरस, स्मैक और गांजा शामिल है. पकड़ी गई ड्रग्स के साथ-साथ पुलिस ने ऐसी पार्टी ड्रग भी हासिल की है, जिन्हें अक्सर दिल्ली और उसके आस पास रेव पार्टी वगैरह में इस्तेमाल किया जाता है.
लेकिन डायरेक्ट्रेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलीजेंस और नारकोटिक्स ब्यूरों के सूत्रों की मानें तो बीते चार सालों में एक बार भी एलएसडी की कोई खेप नहीं पकड़ी गई. ड्रग्स का ये सारा खेल बड़े-बड़े तस्कर अंधाधुंध मुनाफे के लिए कर रहे हैं. जाहिर तौर पर ड्रग्स का कार्टेल दिल्ली में नशा करने वालों की तादात बढ़ाता चला जा रहा है. नशे की लत का हाल ये है कि महिलाओं से लेकर बस्तियों के बच्चे तक नशे में धुत हैं और उन्हें रोकने वाला कोई नहीं.