प्री-मानसून देश की राजधानी में दस्तक दे चुका है लेकिन अगर राजधानी में मानसून की तैयारियों पर नजर डालें तो एक बार फिर लोगों की समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं. बारिश होते ही लोगों के घरों के आस-पास कूड़े के ढ़ेर और खुले नाले रहना दूभर कर देते हैं. अभी मानसून पूरी तरह आया भी नही हैं और लोगों की गंदगी, बदबू और बीमारियों की परेशानियां शुरू हो चुकी हैं.
चिराग दिल्ली के खुले नाले में बदबू का आलम ये है कि उसके आसपास से गुजरना मुश्किल है. नाले के आसपास 11 से 12 हजार की रिहायशी आबादी हैं जो हर बरसात में इस नाले की बदबू और पनपते मच्छरों से होने वाली बीमारियों का दंश झेलते हैं. सरकारें बदलती गईं लेकिन इस खुले नाले का कोई कुछ नहीं कर पाया. जोर की बरसात में इस नाले का पानी और कूड़ा सड़कों तक आ जाता है.
'आज तक' की टीम ने इलाके की नई निगम पार्षद पूजा जांगड़ा को भी इस नाले के पास बुलाया और इस गंभीर समस्या के बारे में पूछा तो उन्होंने निगम में इस नाले के मुद्दे को उठाने की बात कही. लेकिन इस गंभीर समस्या को लेकर पार्षद महोदया के पास कोई पुख्ता जवाब और प्लानिंग नजर नहीं आई.
राजधानी के कुछ इलाकों की इन तस्वीरों से साफ है कि इस बार भी बरसात से पहले निगम और सरकार की तरफ से कूड़े या नालों की सफाई के लिए कोई पुख्ता तैयारियां नजर नहीं आ रही हैं. अब ऐसे में राजधानीवासियों को धूप और गर्मी से तो कुछ राहत मिल गई लेकिन बरसात की परेशानियां उनके सामने जस की तस ही खड़ी हुई हैं.