आम आदमी पार्टी सरकार के आधीन दिल्ली जल बोर्ड करोड़ों के घाटे में चल रहा है. आरटीआई से पता चला है कि साल 2016 से 2018 के बीच जल विभाग को 800 करोड़ रुपयों का घाटा हुआ है. हालांकि जल बोर्ड ने सफाई देते हुए बताया कि ऐसा 7वें वेतन आयोग की वजह से हुआ है. घाटे से उबरने के लिए कई अहम कदम उठाए जा रहे हैं.
आरटीआई एक्टिविस्ट संजीव जैन ने बताया कि उन्हें आरटीआई से मिले जवाब के मुताबिक जल विभाग को 2016-17 में 533 करोड़ से ज्यादा और 2017-18 में 275 करोड़ का घाटा हुआ है. जबकि इससे पहले 3 सालों तक बोर्ड को एक रुपए का भी घाटा नहीं हुआ था.
आरटीआई में जल बोर्ड ने बताया कि ये घाटा 7वें वेतन आयोग के कारण हुआ है. हालांकि हैरान करने वाली बात है कि 7वें वेतन आयोग लागू होने के बाद जल बोर्ड से आर्थिक भार हटाने के लिए दिसंबर 2017 में जब जल बोर्ड ने 20 फीसदी पानी के रेट बढ़ाए थे.
दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष दिनेश मोहनिया ने आरटीआई से सामने आये घाटे पर सफाई दी है. उन्होंने कहा है कि 7वां वेतन आयोग लागू होने की वजह से जल बोर्ड के खर्चे काफी बढ़ गए थे. और यही घाटा आरटीआई में नज़र आ रहा है. लेकिन वही आंकड़े अगले साल कम हो जाते हैं, क्योंकि घाटे से निपटने के लिए कई प्रावधान किए गए हैं. अगले साल तक जल बोर्ड का घाटा पूरी तरह खत्म हो जाएगा.
दिल्ली जल बोर्ड ने दावा किया कि वो घाटे से उबरने के लिए मजबूत कदम उठा रही है. दिनेश मोहनिया के मुताबिक बजट बढ़ाने से घाटा कम नहीं किया जा सकता है. इसलिए दिल्ली जल बोर्ड बिजली की खपत को लेकर भी बदलाव कर रहा है. दिल्ली जल बोर्ड की बिजली की ख़पत काफी ज्यादा है. हर महीने जल बोर्ड करीब 650 करोड़ बिजली का बिल देता है. ऐसे में सोलर का एक प्रोजेक्ट लाया जा रहा है, जिससे 200 करोड़ रुपए की बिजली बचाने का लक्ष्य तय किया गया है.