दिल्ली की जामा मस्जिद के निवर्तमान शाही इमाम, सैयद अहमद बुखारी ने रविवार को अपने बेटे सैयद शाबान बुखारी को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया. शाबान बुखारी ने जामा मस्जिद के नए इमाम के रूप में अपने पिता की जगह ली, इससे पहले वो नायब इमाम थे.
शब-ए-बारात के मुबारक मौके पर शाबान बुखारी की दस्तारबंदी की गई. शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने शाबान मुखारी को पगड़ी पहनाकर 14वें शाही इमाम बनने का ऐलान किया. इस दौरान उन्होंने जामा मस्जिद के इतिहास के बारे में बताया कि पहले शाही इमाम को सम्राट शाहजहां ने नियुक्त किया था.
400 साल पुरानी है परंपरा
अहमद बुखारी ने कहा, जामा मस्जिद के पहले इमाम (हजरत सैयद अब्दुल गफूर शाह बुखारी, शाही इमाम) को 63 साल की उम्र में शाही इमाम नियुक्त किया गया था. परंपराओं के मुताबिक, इमामों ने अपने जीवनकाल में ही अपने उत्तराधिकारियों की घोषणा कर दी है. इसलिए 400 से अधिक सालों की परंपरा के मुताबिक, इस जामा मस्जिद से मैं घोषणा करता हूं कि सैयद शाबान बुखारी मेरे उत्तराधिकारी हैं. उन्होंने यह घोषणा इस्लामी विद्वानों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की एक सभा के सामने की. इस घोषणा के बाद अलंकरण से जुड़ी पुरानी 'रिवाज़' के अनुसार सिर पर 'दस्तारबंदी' बांधना शुरू हो गया.
2014 में शाबान बने थे नायब इमाम
सैयद शाबान बुखारी को नवंबर 2014 में एक दस्तारवंदी समारोह में मस्जिद के नायब इमाम के रूप में नियुक्त किया गया था. सैयद अहमद बुखारी की मृत्यु या बीमारी की स्थिति में, वह जामा मस्जिद के 14वें शाही इमाम के रूप में काम करेंगे, इसकी घोषणा उनके पिता ने की थी. 17वीं शताब्दी में सम्राट शाहजहां द्वारा निर्मित मुगलकालीन मस्जिद में समारोह एक घंटे से अधिक समय तक चला.
जामा मस्जिद के 13वें इमाम सैयद अहमद बुखारी 12वें शाही इमाम सैयद अब्दुल्ला बुखारी के बेटे हैं, जिनकी साल 2009 में 87 वर्ष की उम्र में मौत हो गई थी. वह अक्टूबर 2000 में अपने पिता के बाद जामा मस्जिद के शाही इमाम बने थे.