भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग को लेकर पहलवान 15 दिन से धरने पर डटे हैं. दिल्ली के जंतर-मंतर पर पहलवानों के धरने का आज 16वां दिन है. राजनेताओं, खाप पंचायतों के साथ अब किसान नेता राकेश टिकैत ने भी पहलवानों का समर्थन किया है. जंतर-मंतर पर हर रोज पहलवानों के समर्थन में किसी ना किसी बड़े राजनेता की उपस्थिति चर्चा का विषय बन रही है. वहीं, पिछले दिनों आधी रात में पहलवानों और दिल्ली पुलिस के बीच संघर्ष में सामने आए नाटकीय घटनाक्रमों का पड़ोसी राज्य हरियाणा में जबरदस्त असर देखने को मिल रहा है.
यही वजह है कि कुछ ही दिनों में राजनीतिक रूप से प्रभावशाली खाप खुलकर पहलवानों के समर्थन में उतर आया है और रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग करने लगा है. ऐसे में हर बीतते दिन के साथ हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार की परेशानी भी बढ़ती जा रही है. चूंकि, बीजेपी सरकार यह जानती है कि इस मामले में ज्यादा पैंतरेबाजी की गुंजाइश नहीं है.
इन राजनेताओं ने किया पहलवानों का समर्थन
इधर, मौका देखकर विपक्षी दल भी एकजुट हो गए और हमले तेज कर दिए हैं. विपक्षी दलों को आशंका है कि हरियाणा में भाजपा स्थानीय समुदायों, किसान संघों के अलावा खापों की मांगों का समर्थन कर सकती है. अब तक जिन राजनेताओं ने पहलवानों के समर्थन में विरोध प्रदर्शन किया है, उनमें प्रियंका गांधी वाड्रा, भूपिंदर हुड्डा, दीपेंद्र हुड्डा, शैलजा कुमारी, INLD प्रमुख अभय चौटाला, पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला, आम आदमी पार्टी के हरियाणा प्रभारी सुशील गुप्ता, अनुराग ढांडा और पूर्व सांसद अशोक तंवर का नाम शामिल हैं.
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'जाट समुदाय के प्रतिष्ठा का विषय बना मसला'
शुरुआत में बीजेपी का पहलवानों के समर्थन में बयान दिए जाने से कांग्रेस अब ज्यादा आक्रामक तरीके से बात रख रही है और 'दोहरे चरित्र' का आरोप लगाकर आलोचना कर रही है. विरोध बढ़ने के साथ ही यह मामला राज्य में जाट समुदाय के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन गया है. जो महिला पहलवान धरना दे रही हैं, उनमें अवॉर्ड विजेता हैं और उन्होंने राज्य को गौरवान्वित किया है. ऐसे में सहानुभूति के तौर पर राज्य की महिलाओं की तरफ से भी समर्थन मिलने लगा है.
'मुद्दे पर पैनी नजर रख रहे हैं हुड्डा'
इस पूरे मसले पर बीजेपी खुलकर कांग्रेस पर राजनीति करने का आरोप लगा रही है. बीजेपी नेताओं ने हुड्डा पर पहलवानों को बातचीत के बजाय विरोध का रास्ता अपनाने के लिए उकसाने का आरोप लगाया है. बीते दिनों प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा भी धरना स्थल पर पहुंचे थे. दीपेंद्र ने अब तक कई बार विरोध स्थल का दौरा किया है. हालांकि, उन्होंने भाजपा पर निराधार बातें करने का आरोप लगाया और तंज कसा है. उन्होंने कहा कि खिलाड़ियों को सरकार पर पूरा भरोसा था और उनकी बहन बबीता फोगाट ने मध्यस्थता की थी.
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बता दें कि पहलवानों ने सबसे पहले जनवरी में दिल्ली में धरना दिया था. तब बीजेपी नेता बबीता फोगाट सरकार की तरफ से पहलवानों से बात करने पहुंची थीं और मांगें पूरी करने का आश्वासन दिया था. बबीता की चचेरी बहन विनेश फोगाट धरने पर बैठी हैं.
'बेटियों के साथ अन्याय हुआ, हम उनके साथ खड़े'
दीपेंद्र हुड्डा ने आगे कहा- जब तीन महीने पहले पदक विजेता धरने पर बैठे थे, मैंने उन्हें अपना समर्थन देने के लिए बुलाया था. तब उन्होंने कहा था कि आपके सपोर्ट के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. हमें सरकार पर पूरा भरोसा है. उनकी (विनेश) बहन बबीता फोगाट भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ीं हैं और पार्टी की सक्रिय सदस्य हैं, उन्होंने सरकार के साथ बात की और उन्हें आश्वासन दिया गया कि कार्रवाई की जाएगी. अब भाजपा का कहना है कि मैंने उन्हें उकसाया है. यह वाकई शर्मनाक है. क्या हम अपनी बेटियों के साथ खड़े नहीं होंगे, जिनके साथ अन्याय हुआ है?
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'हुड्डा सरकार में अवॉर्ड विजेता को नौकरियां दीं'
उन्होंने कहा- हरियाणा छोटा राज्य होने के बावजूद देश के लिए पदक लाने वालों का बड़ा हिस्सा रहा है. कांग्रेस शासन के दौरान हुड्डा सरकार खिलाड़ियों के लिए 'पदक लाओ, पद पाओ' योजना समेत कई नीतियां लाई थी. पदक विजेताओं को सरकारी नौकरियों से पुरस्कृत किया गया और विजेंद्र गुप्ता, योगेश्वर दत्त और बबीता फोगाट योजना के लाभार्थी थे.
'महिलाओं के साथ किया जा रहा गलत व्यवहार'
हुड्डा सरकार ने खेलों को बढ़ावा देने के लिए स्पोर्ट्स फिजिकल एप्टीट्यूड टेस्ट (SPAT) कराने के लिए सब कुछ किया. यह सुनिश्चित किया कि इच्छुक खिलाड़ी विशेष रूप से महिलाओं को वजीफा मिले और वे प्रेरित महसूस करें. लेकिन अगर महिलाओं के साथ इस तरह का व्यवहार किया जा रहा है तो खेल बिरादरी आज आशंकित है. लोग अपनी बेटियों को खेलने नहीं भेजेंगे.
'बातचीत पर जोर रही है हरियाणा सरकार'
बता दें कि हरियाणा के मुख्यमंत्री बार-बार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि बातचीत से ही आगे का रास्ता निकालना चाहिए. यह मामला हरियाणा से जुड़ा नहीं है. बातचीत का रास्ता अपनाया जाना चाहिए. बातचीत होगी तो मामला सुलझ जाएगा. खट्टर ने मीडिया के एक सवाल के जवाब में कहा, आरोपों के संबंध में वे कहां तक सही हैं या नहीं, प्राथमिकी दर्ज की गई है और निष्पक्ष जांच होगी.
'पहलवानों के समर्थन में है सत्ता में शामिल JJP'
जाहिर है कि हरियाणा के मुख्यमंत्री सावधानी से चल रहे हैं और विवाद से दूरी बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं. कृषि कानूनों की तरह ही इस बार भी सत्ताधारी गठबंधन बीजेपी-जेजेपी के अलग-अलग विचार हैं. डिप्टी सीएम और जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग को लेकर प्रदर्शनकारी पहलवानों के समर्थन में पहले ही आ चुके हैं.
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'बीजेपी विरोधी माहौल बनाने की कोशिश में कांग्रेस'
दरअसल, कांग्रेस उम्मीद कर रही है कि अगले विधानसभा चुनाव में सत्ता विरोधी लहर होगी और खट्टर के लिए हैट्रिक दूर की कौड़ी साबित होगी. हरियाणा में अगले साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने की संभावना है. हुड्डा पहले से ही 'विपक्ष आपके द्वार' जैसे अभियान चलाकर भाजपा विरोधी माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं. यहां तक कि भारत जोड़ो यात्रा भी हरियाणा में दो फेज में गुजरी और राज्य में सामान्य से ज्यादा लंबे समय तक चली. उसके बाद पार्टी ने 'हाथ से हाथ जोड़ो' अभियान चलाया और जन संपर्क कर जमीन से जुड़ने की कोशिश की.
'खिलाड़ियों का समर्थन करना चाहिए'
माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव से पहले राजनीति के माहिर खिलाड़ी भूपेंद्र हुड्डा ने बीजेपी पर हमले की पुख्ता तैयारी कर रखी है. उन्होंने हाल में एक बयान में कहा- यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि इंसाफ की लड़ाई है. सभी को राजनीति से ऊपर उठकर खिलाड़ियों का समर्थन करना चाहिए क्योंकि वे न केवल हरियाणा बल्कि पूरे देश का गौरव हैं.
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'दिल्ली की घटनाओं से हरियाणा का माहौल गरम'
राज्य और केंद्र दोनों में भाजपा सरकार के लिए विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है. जैसे-जैसे राष्ट्रीय राजधानी में घटनाएं सामने आती हैं, उससे राजनीतिक माहौल में भी गरमाहट देखने को मिलती है. हाल की घटनाओं ने मीडिया का भी ध्यान आकर्षित किया है और सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप भी देखने को मिला है. SC ने ही बृजभूषण शरण के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था. प्रदर्शनकारियों के लिए सुरक्षा व्यवस्था प्रदान की.
'मुश्किलों में खट्टर सरकार'
इस पूरे घटनाक्रम को लेकर बीजेपी भी सतर्क है और वो यह जानती है कि सार्वजनिक तमाशा संभवतः पार्टी के नैतिक आधार को नुकसान पहुंचा सकता है. चूंकि बीजेपी खुद को महिला समर्थक पार्टी होने का दावा करती है और महिला पहलवानों के समर्थन में सहानुभूति की लहर किसी भी लिहाज से ठीक नहीं है. भाजपा की अनिच्छा ने ही उसकी समस्या को और बढ़ा दिया है. शायद वह तूफान को खत्म करने की उम्मीद कर रही है. हालांकि, विरोधियों को तत्काल कोई राजनीतिक लाभ मिलते नहीं दिख रहा है.