दिल्ली के खान मार्केट से बरामद ऑक्सीजन कंसंट्रेटर केस में आरोपी नवनीत कालरा को राहत नहीं मिली है. साकेत कोर्ट ने नवनीत कालरा की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी है. कालरा ने गिरफ्तारी से बचने के लिए अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल की थी. फिलहाल, छापेमारी के बाद से ही नवनीत कालरा अपने परिवार के साथ फरार है.
साकेत कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संदीप गर्ग ने नवनीत कालरा द्वारा दायर की गई अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है, जिसे पुलिस द्वारा धोखाधड़ी, जमाखोरी और साजिश मामले का मुख्य आरोपी बनाया गया है. हालांकि, इसी मामले में दूसरी कोर्ट से मैट्रिक्स सेल्युलर के सीईओ गौरव खन्ना समेत चार लोगों को जमानत दे दी गई है.
साकेत कोर्ट में नवनीत कालरा की इसी अर्जी पर सुनवाई के दौरान कल वक़ील विकास पाहवा ने कहा था कि अगर उसकी गिरफ्तारी पर रोक लगादी जाए तो वो 2 घंटे के भीतर पुलिस को जांच में सहयोग करने को तैयार है. उन्होंने कहा कि आजकल कोर्ट में दोषी साबित होने से पहले सोशल मीडिया में आरोपी को दोषी साबित कर दिया जाता है.
नवनीत कालरा के वकील विकास पाहवा ने कहा था कि हमें फेयर ट्रायल मिलना चाहिए. इस पर जज ने कहा कि फेयर ट्रायल हर आरोपी को मिलना उसका अधिकार है .नवनीत कालरा के वकील ने कहा कि मेरे ख़िलाफ़ कैंपेन चलाया जा रहा है, जबकि ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, सरकार को जीएसटी देकर और कस्टम से क्लियर कराकर लाये गए है
नवनीत कालरा के वकील ने कोर्ट को कहा था कि जब भी किसी भी चीज़ को सरकार की तरफ़ से आवश्यक वस्तु अधिनियम के दायरे में लाया जाता है तो उसका रेट तय कर दिया जाता है और अगर कोई भी व्यक्ति सरकार के तय किये गए रेट से ज़्यादा वसूलता है तो ये अपराध की श्रेणी में आता है, लेकिन ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का दाम तय नहीं किया गया है.
कालरा के वक़ील का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट से लेकर देश के हाईकोर्ट तक कह रहे है कि महामारी के इस वक़्त में पुलिस अनावश्यक रूप से लोगों को गिरफ्तार न करे, लेकिन दिल्ली पुलिस कोर्ट के आदेशों का ही पालन नहीं कर रही है, इस मामले में गिरफ्तारी इसीलिए की जा रही है ताकि कोरोनाकाल में बाकी और चीज़ों से लोगों का ध्यान भटकाया जा सके.