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दिल्ली LG ने बदले दो नॉमिनेटेड पार्षद, स्टैंडिंग कमेटी में क्या बदलेगा गणित? AAP ने जताया था विरोध

दिल्ली नगर निगम में 12 जोन हैं और मनोनीत पार्षदों की संख्या सिर्फ 10 है. एमसीडी एक्ट में ऐसी कोई बंदिश नहीं है कि अलग-अलग जोन से ही पार्षदों को चुना जाएगा. लिहाजा किसी एक जोन से 10 या फिर अलग-अलग जोन से 10 का मनोनयन हो सकता है.

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फाइल फोटो
फाइल फोटो

दिल्ली नगर निगम में नरेला जोन के लिए मनोनीत पार्षद महेश तोमर और सेंट्रल जोन के लिए मनोनीत पार्षद कमलजीत को आम आदमी पार्टी के विरोध के बाद बदल दिया गया है. इनकी जगह नरेला जोन से सुनीत चौहान और सेंट्रल जोन से मनोज जैन के नामों की अधिसूचना जारी की गई है. 

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बता दें कि पहले तय किया गया था कि जिस जोन के लिए नाम नॉमिनेट किया जाएगा वो उस जोन में रहने वाला होना चाहिए, दूसरे जोन में रहने वाला व्यक्ति नहीं होना चाहिए. पता चला कि पहली सूची में सेंट्रल जोन से नामित कमलजीत का मतदाता सूची में नाम नहीं है, वहीं नरेला जोन से नॉमिनेट किये गए महेश तोमर भी रोहिणी जोन में रहते हैं. इन दोनों नामों को लेकर आम आदमी पार्टी की ओर से विरोध जताया गया था. 

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि पार्टी से एक लिस्ट एलजी ऑफिस भेजी गई थी और वरिष्ठ नेताओं की सिफारिश के बाद  नाम शामिल किए गए थे, जिन पर पार्टी में आंतरिक विरोध शुरू हो गया था, लिहाजा उसे बदलना पड़ा.  

निगम मामलों के जानकार जगदीश ममगाई का कहना है कि दिल्ली नगर निगम विधेयक के अनुसार, 10 लोग, जिनकी आयु 25 वर्ष से कम नहीं है और जिन्हें नगर निगम प्रशासन में विशेष ज्ञान या अनुभव है, उनको मनोनीत करने का अधिकार प्रशासक यानी उप-राज्यपाल के पास है, लेकिन यदि प्रस्तावित 10 नामों की अनुशंसा दिल्ली नगर निगम के आयुक्त द्वारा की गई है तो संबंधित प्रस्ताव की फाइल दिल्ली सरकार के माध्यम से ही जानी चाहिए. निगम दिल्ली सरकार के शहरी विकास मंत्रालय के तहत है. इसलिए फाइल दिल्ली सरकार को न भेजी जाना सुप्रीम कोर्ट के दिल्ली में अधिकारों के निर्धारण का उल्लंघन है.  

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इसके साथ ही ममगाई कहते हैं कि उप-राज्यपाल दिल्ली सरकार द्वारा पशु कल्याण बोर्ड के सदस्यों के मनोनयन को इस आधार पर खारिज कर देते हैं कि प्रस्तावित नाम पशु कल्याण कार्य में विशेषज्ञ नहीं है, लेकिन दिल्ली नगर निगम में मनोनयन करते हुए न तो उनके निगम मामलों के विशेषज्ञ होने का सवाल उठाते हैं और न ही उनके अपराधिक मामलों का संज्ञान लेते हैं. बता दें की अंदरूनी गुटबाजी के दौर से गुजर रही बीजेपी में निगम चुनाव के वक्त हर्ष विहार और सुंदर नगरी वार्डों के उम्मीदवारों के नाम मतदाता सूची में नहीं होने की वजह से बदलने पड़े थे.  

सिर्फ 3 जोन से ही क्यों चुने गए मनोनीत पार्षद? 

एमसीडी में 12 जोन हैं और मनोनीत पार्षदों की संख्या सिर्फ 10 है. दिल्ली नगर निगम एक्ट में ऐसी कोई बंदिश नहीं है कि अलग-अलग जोन से ही पार्षदों को चुना जाएगा. लिहाजा किसी एक जोन से 10 या फिर अलग-अलग जोन से 10 का मनोनयन हो सकता है. 105 पार्षदों वाली बीजेपी में मनोनीत पार्षद सिर्फ जोन चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन के चुनाव में ही वोट कर सकेंगे. लिहाजा 10 मनोनीत पार्षद भले ही एलजी ने मनोनीत किए हों, लेकिन इसके पीछे दिल्ली बीजेपी का बहुमत का गणित है जो कि ना केवल डिप्टी और चेयरमैन के चुनाव में बीजेपी को मजबूती देगा बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से स्टैंडिंग कमेटी में भी बीजेपी को आप के मुकाबले मजबूत करेगा. यही वजह है कि मनोनीत पार्षद का चुनाव सिर्फ उन्हीं तीन जोन से हुआ है जहां उनकी वोटिंग से बीजेपी को बढ़त मिलेगी और वो जोन हैं- नरेला (4 मनोनीत), सिविल लाइंस (4 मनोनीत) और सेंट्रल जोन (2 मनोनीत). 

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नरेला में 16 वार्ड, 10 पर आप जीती 

उदाहरण के लिए नरेला जोन में कुल 16 वार्ड आते हैं. 10 सीट पर आप जीती है।, 5 पर आम आदमी पार्टी और 1 सीट पर निर्दलीय गजेंद्र दराल ने जीत हासिल की और वो बाद में बीजेपी से जुड़ गए. अब बीजेपी के पास 6 और आप के पास 10 वोट हो गए. एलजी ने इस जोन से 4 को नॉमिनेट कर दिया. अब आंकड़ा बराबर का होगा. इसी तरह चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन और स्टैंडिंग कमेटी के लिए चुनकर आने वाले सदस्यों में बीजेपी को ये मनोनीत पार्षद अपने वोटिंग से  फायदा पहुंचाएंगे. ठीक इसी तरह  सेंट्रल जोन में अगर कांग्रेस के पार्षद बीजेपी के साथ आ गए तो बीजेपी का बहुमत बढ़ सकता है. ऐसे में बीजेपी जिसे चाहे  जोन चेयरमैन, डिप्टी चेयरमैन बना सकती है. 

स्टैंडिंग कमेटी का खेल बदल सकते हैं मनोनीत  

स्टैंडिंग कमिटी के कुल 18 मेंबर्स में से  12 जोन से चुने जाते हैं. ऐसे में जिस पार्टी का जोन पर कब्जा होगा तो स्टैंडिंग में उसके सदस्य लाने का रास्ता क्लियर हो जाएगा और अगर खेल ठीक बैठ गया तो स्टैंडिंग कमेटी का चेयरमैन और डिप्टी भी बीजेपी का हो सकेगा. आम आदमी पार्टी ने भी सदस्यों के मनोनयन पर दिल्ली सरकार को बाय पास करने का आरोप लगाया. मालूम हो कि अब तक दिल्ली नगर निगम जब तीन भागों में बंटी हुई थी तो कुल 30 मनोनीत पार्षद हुआ करते थे. जिसमें से सभी आम आदमी पार्टी से संबंधित नेता थे. 

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