scorecardresearch
 

केंद्र की परियोजनाओं को मंजूरी का था इंतजार, दिल्ली के LG ने अपनी शक्तियों का किया इस्तेमाल

एलजी कार्यालय के अधिकारियों ने सोमवार को ये जानकारी दी. जिसमें बताया गया कि लंबे समय से केंद्र की कई परियोजनाओं को मंजूरी का इंतजार था. जिनमें श्रीनिवासपुरी में जीपीआरए कॉलोनी का पुनर्विकास 2019 से लंबित, जीपीआरए सरोजिनी नगर अगस्त 2021 से लंबित और एनएचएआई द्वारा शहरी विस्तार सड़क (यूईआर-द्वितीय), सितंबर 2021 से लंबित थी.

Advertisement
X
अरविंद केजरीवाल और वीके सक्सेना
अरविंद केजरीवाल और वीके सक्सेना

दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने केजरीवाल सरकार के पास लंबित पड़ी केंद्र की 11 महत्वपूर्ण परियोजनाओं को मंजूरी देने के लिए अपनी शक्तियों का इस्तेमाल किया है. एलजी कार्यालय के अधिकारियों ने सोमवार को ये जानकारी दी. जिसमें बताया गया कि लंबे समय से केंद्र की कई परियोजनाओं को मंजूरी का इंतजार था. जिनमें श्रीनिवासपुरी में जीपीआरए कॉलोनी का पुनर्विकास 2019 से लंबित, जीपीआरए सरोजिनी नगर अगस्त 2021 से लंबित और एनएचएआई द्वारा शहरी विस्तार सड़क (यूईआर-द्वितीय), सितंबर 2021 से लंबित थी. 

Advertisement

अधिकारियों ने कहा कि उपराज्यपाल ने "जीएनसीटीडी नियमावली (टीओबीआर), 1993 के व्यापार के लेनदेन नियम 19 (5) के संदर्भ में फ़ाइलों को वापस बुलाने की अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर केजरीवाल सरकार को 11 फाइलें भेजने के लिए कहा है. टीओबीआर का नियम 19(5) उपराज्यपाल को जनहित में मंत्रियों/मुख्यमंत्री के पास अत्यधिक लंबित फाइलों को वापस लेने का अधिकार देता है. नियम 19(5) सरकार को एलजी को फाइलें भेजने के लिए मजबूर करता, भले ही उन्होंने इसे मंजूरी दी हो या नहीं. टीओबीआर के नियम 19(5) को लागू करने की बात करते हुए पत्र 9 दिसंबर को भेजा गया था.

अधिकारी ने दावा किया, "एलजी सचिवालय द्वारा उक्त नियम लागू करने के बाद बिना किसी कारण के वर्षों और महीनों से लंबित फाइलों को पर्यावरण मंत्री और मुख्यमंत्री द्वारा विधिवत अनुमोदित और हस्ताक्षरित किया गया और एलजी को अनुमोदन के लिए भेजा गया." .

Advertisement

वृक्षों के स्थानान्तरण/वनारोपण की मंजूरी की फाइलें पर्यावरण विभाग के पास तीन वर्षों तक लम्बित रहीं. अधिकारियों ने कहा कि एलजी ने अपनी कई बैठकों में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ अनुचित देरी के इस मुद्दे को लगातार उठाया था. उन्होंने 17 अगस्त और 30 सितंबर को दो बार मुख्यमंत्री को "पर्यावरण विभाग द्वारा अनुमति देने में अत्यधिक और अस्पष्ट देरी को हरी झंडी दिखाते हुए" लिखा था और मुख्यमंत्री से शीघ्र निपटान सुनिश्चित करने के लिए कहा था.

Advertisement
Advertisement