दिल्ली में केजरीवाल सरकार और उपराज्यपाल वीके सक्सेना के बीच एक बार फिर ठन गई है. अबकी बार नया विवाद बिना हस्ताक्षर (Signature) की फाइलों को लेकर शुरू हुआ है. उपराज्यपाल ने 45 से ज्यादा ऐसी फाइलों को वापस लौटा दिया है, जिन पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सिग्नेचर नहीं थे. उपराज्यपाल ने केजरीवाल सरकार से इन फाइलों पर दस्तखत करने के बाद ही भेजने के लिए कहा है. वहीं, इस हस्ताक्षर विवाद में डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया कूद गए हैं. उन्होंने LG पर निशाना साधा है.
दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना (Delhi Lieutenant Governor VK Saxena) ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) को एक बड़ा झटका दिया है. उन्होंने सीएम को पत्र लिखकर फाइलों में निर्धारित प्रक्रियाओं का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है. LG कार्यालय ने जो 45 से ज्यादा फाइलें AAP सरकार को वापस भेजी हैं, उनमें सीएम केजरीवाल के हस्ताक्षर नहीं थे.
शिक्षा विभाग और वक्फ बोर्ड की फाइलें भी शामिल
रिपोर्टस के मुताबिक, LG कार्यालय ने दिल्ली के सीएम को 45 से ज्यादा फाइलें लौटाई हैं. इन फाइलों पर मुख्यमंत्री के कार्यालय के कर्मचारियों के हस्ताक्षर थे. समाचार एजेंसी ANI के अनुसार, इन फाइलों में राष्ट्रीय राजधानी के शिक्षा विभाग और वक्फ बोर्ड से संबंधित पेपरवर्क शामिल है.
हस्ताक्षर को लेकर नियमों को पालन नहीं
उपराज्यपाल के निर्देशानुसार, फाइलों पर हस्ताक्षर के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. मुख्यमंत्री को सुचारू और प्रभावी शासन के हित में हर फाइल पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया था. उन्होंने मुख्यमंत्री से अधिकांश सरकारी कार्यालयों में प्रचलित ई-ऑफिस प्रणाली को लागू करने के लिए भी कहा है, ताकि फाइलों के आने-जाने का क्रम सुचारू रूप से बना रहे.
केजरीवाल के हस्ताक्षर नहीं होने से आपत्ति
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की तरफ से जो फाइलें एलजी के विचार, ऑपेनियन और अप्रूवल के लिए भेजी जा रही हैं, उनमें सिग्नेचर नहीं होने की वजह से वापस किया जा रहा है. इस संबंध में एक्सपर्ट का कहना है कि केजरीवाल का रवैया पहले के मुख्यमंत्रियों से बिल्कुल अलग है. दिल्ली में 1993 और 2013 के बीच मुख्यमंत्रियों द्वारा इस तरह की फाइलों पर विधिवत हस्ताक्षर किए जाते थे. हालांकि, केजरीवाल के दफ्तर से एलजी को भेजे जाने वाली फाइलों पर हस्ताक्षर नहीं किए जा रहे हैं.
फाइलों पर लिखा जाता है- 'CM has seen'
दरअसल, दिल्ली के मुख्यमंत्री कार्यालय से उपराज्यपाल सचिवालय के अफसरों को भेजे जाने वाली फाइलों पर लिखा होता है कि 'CM has seen and approved और 'CM has seen'. यानी मुख्यमंत्री ने फाइल देखने के बाद अप्रूव की है या मुख्यमंत्री ने फाइल देखी है. लेकिन, उन पर मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर नहीं होते हैं.
नियमों की अनदेखी करना ठीक नहीं
जानकारों का कहना है कि ये एक तरह से नियमों का उल्लंघन है और निर्धारित प्रक्रियाओं की अनदेखी करना भी है. सीएम के रिमार्क के साथ हस्ताक्षर होना जरूरी है. ऐसी फाइलों में राष्ट्रीय राजधानी के प्रशासन और शासन से संबंधित अति संवेदनशील मामले शामिल होते हैं.
सिसोदिया बोले- ये रूटीन प्रोसेस है
वहीं, डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जगह सीएमओ स्टाफ के हस्ताक्षर वाली फाइलें LG दफ्तर से वापस लौटाए जाने पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा- ये एक रूटीन प्रोसेस है. LG साहब LG की तरह बिहेव करें.