राजधानी दिल्ली की नई शराब नीति को लेकर केजरीवाल सरकार और उपराज्यपाल के बीच तकरार और बढ़ती जा रही है. अब उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने नई शराब नीति पर एक और जांच के आदेश दिये हैं. मिली जानकारी के मुताबिक, यह शिकायत न्यायविदों, वकीलों और प्रतिष्ठित नागरिकों के एक संगठन ने दी है. इसपर जांच के आदेश दिये गए हैं. पहले वाली शिकायत के आधार पर उपराज्यपाल सीबीआई जांच की सिफारिश पहले ही कर चुके हैं.
शिकायत में कहा गया है कि दिल्ली में शराब का लाइसेंस देने में गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं. इसपर उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मुख्य सचिव को लिखा है. उनको सत्यापन और जांच के आदेश दिये गए हैं. यह भी कहा गया है कि 14 दिनों (दो हफ्ते) के अंदर इसपर रिपोर्ट तैयार करें और उनको और सीएम केजरीवाल को भेजें.
किस संगठन ने यह शिकायत दी है यह नहीं बताया गया है. संगठन खुद अपना नाम सामने नहीं आने देना चाहता क्योंकि उसे डर है कि ऐसा होने पर उसे उत्पीड़न और धमकियों का सामना करना पड़ सकता है.
शिकायत में कहा गया है कि दिल्ली एक्साइज पॉलिसी 2021-22 का उल्लंघन हुआ है. इसमें गुटबंदी, एकाधिकार को बढ़ावा देने और ब्लैक लिस्ट में मौजूद कंपनियों को लाभ पहुंचाने का आरोप लगा है. अब रिपोर्ट आने के बाद आगे उपराज्यपाल कोई एक्शन लेंगे.
LG कर चुके हैं सीबीआई जांच की सिफारिश
दिल्ली के उपराज्यपाल विनय सक्सेना पहले ही केजरीवाल सरकार की चर्चित शराब नीति की सीबीआई जांच के आदेश दे चुके हैं. यह सिफारिश एलजी वीके सक्सेना ने मुख्य सचिव की रिपोर्ट के बाद की गई थी. खास बात ये है कि इस रिपोर्ट में दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए हैं. दिल्ली का एक्साइज विभाग मनीष सिसोदिया के अधीन है. माना जा रहा है कि इस मामले में मनीष सिसोदिया की मुसीबतें बढ़ सकती हैं.
नई एक्साइज ड्यूटी क्यों है सवालों के घेरों में?
नई एक्साइज ड्यूटी में गड़बड़ी के आरोप हैं. आरोप है कि नई एक्साइज पॉलिसी के जरिए शराब लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया. लाइसेंस देने में नियमों की अनदेखी की गई. टेंडर के बाद शराब ठेकेदारों के 144 करोड़ रुपए माफ किए गए.
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस नीति के जरिए कोरोना के बहाने लाइसेंस की फीस माफी की गई. रिश्वत के बदले शराब कारोबारियों को लाभ पहुंचाया गया. आरोप है कि नई आबकारी नीति के तहत उठाए गए कदमों से राजस्व को भारी नुकसान पहुंचा है और यह नई नीति शराब कारोबारियों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से लाई गई.