राजधानी दिल्ली स्थित जामा मस्जिद में शाम की नमाज पढ़ा रहे शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी पर रविवार को 32 वर्षीय एक व्यक्ति ने कथित तौर पर केरोसिन की एक बोतल फेंक दी. व्यक्ति को बुखारी के निजी सुरक्षा अधिकारियों ने तत्काल पकड़ लिया और उसे स्थानीय पुलिस के हवाले कर दिया. हमलावर व्यक्ति की पहचान पश्चिम बंगाल के 24 परगना निवासी कमलुद्दीन के रूप में हुई है.
बुखारी के आधिकारिक प्रवक्ता अमनुल्ला ने कहा, ‘घटना तब हुई जब इमाम ‘मगरीब’ की नमाज पढ़ा रहे थे. एक व्यक्ति ने अचानक पीछे से एक केरोसिन बोतल फेंक दी. व्यक्ति को बुखारी के निजी सुरक्षा अधिकारियों ने तुरंत पकड़ लिया. उसे पास के पुलिस थाने ले जाया गया है.’ अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (सेंटर) आलोक कुमार ने कहा कि हमलावर को हिरासत में ले लिया गया है और उससे पूछताछ की जा रही है कि उसने ऐसा क्यों किया.
पुलिस ने कहा कि केरोसिन की कुछ बूंदें बुखारी के कपड़ों पर गिरी और कुछ फर्श पर, लेकिन इसमें कोई भी घायल नहीं हुआ. अपने वारिस को चुनने की प्रक्रिया के बारे में इमाम बुखारी ने कहा कि यह देखा जाता है कि कौन सा बेटा इमाम बनने में सक्षम है और क्या उसका मजहबी झुकाव है या नहीं. उन्होंने कहा, ‘शाबान सक्षम हैं और उसका मजहबी झुकाव है. इसके अलावा, वह एमिटी युनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन कर रहा है. उसका मानवता के प्रति मजबूत झुकाव है और सोशल वर्क उसका प्रमुख विषय है. वह सोशल वर्क में ही ग्रेजुएशन कर रहा है.’
शाही इमाम ने कहा, ‘उसकी क्षमताओं और उसका झुकाव जहन में रखते हुए उसे जामा मस्जिद के ‘नायब शाही इमाम’ के तौर पर नियुक्त करने का फैसला किया गया है और वे 14वें शाही इमाम होंगे.’ तरबियत प्रक्रिया के बारे में बात करते हुए बुखारी ने कहा, ‘1973 में मेरे दादा ने मुझे ‘नायब शाही इमाम’ नियुक्त किया था और मैं सन् 2000 में शाही इमाम बना था. इसी तरह मैं अपने बेटे की तरबियत करूंगा.’
शाही इमाम का पद बहुत ही प्रभावशाली समझा जाता है. बुखारी ने 2014 के आम चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी को समर्थन देने का ऐलान किया था, जिस वजह से पार्टी की खासी आलोचना हुई थी. शाही इमाम ने 2012 में हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी को अपनी हिमायत दी थी.
- इनपुट भाषा से