दिल्ली भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने दावा किया है कि दिल्लीवासियों को केवल मार्च 2020 तक ही मुफ्त बिजली मिलेगी. इसके बाद दिल्ली सरकार की यह योजना बंद हो जाएगी. मनोज तिवारी ने सचिवालय के दस्तावेज के हवाले से ऐसा दावा किया है.
मनोज तिवारी ने आजतक से हुई खास बातचीत में कहा कि अगस्त में सरकार ने तय कर दिया था कि 31 मार्च 2020 तक ही 200 यूनिट तक फ्री बिजली को योजना चालू रहेगी. यानी इसके बाद क्या होगा यह पता नहीं.
मनोज तिवारी ने कहा कि सरकारी योजनाओं में समय सीमा तय नहीं होती है. योजनाएं तब तक चलती हैं, जब तक कि इससे बेहतर योजना न आ जाए. दिल्ली सरकार का यह नाटक बेनकाब हो गया है, सरकार इसका जवाब दे.
घाट को लेकर हुई थी जुबानी जंग
इससे पहले छठ पर्व को लेकर दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और आम आदमी पार्टी (आप) के बीच जंग हुई थी. छठ घाट को लेकर बीजेपी और आप कार्यकर्ताओं के भिड़ने के बाद दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने बयान दिया था. उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर छठ पर्व के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगाया. मनोज तिवारी ने कहा था कि शांतिपूर्वक होने वाली छठ पूजा में आम आदमी पार्टी और उसके कार्यकर्ता जहर घोलने का काम कर रहे हैं.
जनता को मिल रही मुफ्त बिजली के खिलाफ बीजेपी
वहीं, कुछ दिनों पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को निशाने पर लिया था. उन्होंने कहा था कि दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने पर बीजेपी दिल्लीवासियों को आम आदमी पार्टी की सरकार द्वारा दी जा रही बिजली सब्सिडी को खत्म कर देगी.
सीएम केजरीवाल ने कहा था कि बीजेपी सांसद 4,000 यूनिट बिजली मुफ्त ले रहे हैं, लेकिन वो जनता को दी जा रही 200 यूनिट मुफ्त बिजली के खिलाफ हैं. केजरीवाल ने दिल्ली के शाहदरा और पटपड़गंज में स्वयंसेवकों के साथ आयोजित बैठकों के दौरान बीजेपी सांसद विजय गोयल के उस बयान को लेकर हमला किया था, जिसमें उन्होंने बिजली सब्सिडी खत्म करने की बात कही थी.
केजरीवाल ने कहा था कि बीजेपी ने चुनाव से पहले ही बिजली सब्सिडी खत्म करने के अपने इरादे का ऐलान कर दिया है. बीजेपी के जिस वरिष्ठ नेता ने यह बयान दिया है, वो खुद सांसद हैं और हर महीने 4,000 यूनिट मुफ्त बिजली पाते हैं. हालांकि जनता को 200 यूनिट मुफ्त बिजली देने में उनको दिक्कत है. अब जनता दो विपरीत मॉडलों में से एक का आसानी से चुनाव कर सकती है.