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जलभराव पर नज़र बनाने में सोशल मीडिया के ये टूल बने पुलिस की आंख

साउथ दिल्ली का राव तुलाराम फ्लाईओवर,  धौला कुआं के स्ट्रेच में खासतौर से जलभराव की समस्या देखी गई. 2017 में दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने सिविक एजेंसी को वॉरलॉगिंग की जो 189 जगहों की लिस्ट सौंपी थी ये दोनों जगह उसमें भी चिन्हित की गई थीं.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

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बारिश शुरू होते ही दिल्ली के कई इलाकों में वाटर लॉगिंग की समस्या देखने को मिलती है और हर साल एमसीडी के मॉनसून की तैयारियों के दावों की पोल भी खुल जाती है. इस बार भी प्री मॉनसून तैयारियां जैसे नालियों की साफ सफाई, सड़कों की मरम्मत, और खुली पड़ी नालियों को ढकने का काम सिर्फ कागजों में ही दिख रहा है.

अभी महज कुछ घंटों की बरसात से ही कई इलाकों में जलभराव और उससे चलते ट्रैफिक जाम की स्थिति बन गई है और लोग अब मॉनसून के बाद के हालातों को सोच कर फिक्रमंद हैं.

साउथ दिल्ली का राव तुलाराम फ्लाईओवर,  धौलाकुआं के स्ट्रेच में खासतौर से जलभराव की समस्या देखी गई. 2017 में दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने सिविक एजेंसी को वॉटलॉगिंग की जो 189 जगहों की लिस्ट सौंपी थी ये दोनों जगह उसमें भी चिन्हित की गई थीं. लेकिन, सिविक एजेंसियों की लापरवाही और लगातार निर्माण कार्य होने की वजह से पिछले 5 सालों से लगातार जलभराव राव तुलाराम फ्लाईओवर के करीब हो रहा है.

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दिल्ली ट्रैफिक पुलिस की जॉइंट कमिश्नर गरिमा भटनागर ने कहा कि ट्रैफिक पुलिस कोई अलग से सर्वे नहीं करती, बल्कि पब्लिक इंटरफेस यूनिट फेसबुक, वॉट्सएप, ट्विटर और हेल्पलाइन 1090 के जरिए लोगों की शिकायत दर्ज कर ट्रैफिक कंट्रोल रूम को देती हैं. जो कार्रवाई करते हैं और ऑन स्पॉट उस समस्या को दूर करते हैं.

कई वर्षों से दिल्ली ट्रैफिक पुलिस जो डेटा सिविक एजेंसियों को शेयर करती हैं उसमें जलभराव की ये जगह लगातार बनी हुई हैं.  

राव तुला राम फ्लाईओवर

धौला-कुआं स्ट्रेच

रोहतक रोड

इग्नू रोड

ज़ख़ीरा फ्लाईओवर

मूलचंद फ्लाईओवर

अरविंदो मार्ग

पुलिस ने बताया कि पब्लिक इंटरफेस यूनिट 24×7 काम करती है. हेल्पलाइन 1090 पर रोजाना करीब 1000 कॉल आती हैं जिसमें से करीब 150 ही ऐसी होती हैं जिन पर कार्रवाई की जरूरत होती है.

इन टूल्स से दिल्ली ट्रैफिक पुलिस जलभराव पर नज़र रखती है. 

1.ट्विटर

2.फेसबुक

3.ट्रैफिक हेल्पलाइन

4 गूगल मैप

5 वीएमएस( वेरियल मैसेज साइनबोर्ड)

6 वॉट्सएप

ये अकेले दिल्ली के राव तुला राम फ्लाईओवर और धौला कुआं की बात नहीं है. संगम विहार का हाल भी कुछ ऐसी ही है.

मॉनसून के पहले और बाद में संगम विहार में एक जैसे हालात

हालांकि दिल्ली का एक इलाका ऐसा है जहां प्री मानसून हो या पोस्ट हालात सालभर एक जैसे रहते हैं. दिल्ली के संगम विहार इलाके को देख ऐसा नहीं लगता कि यहां लोगों का विकास के साथ कभी संगम भी हुआ होगा. यहां की टूटी सड़कें वर्षों से मरम्मत का इंतज़ार कर रही हैं. 

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संगम विहार का सबसे बड़ा लैंडमार्क है यहां सड़कों पर भरा हुआ नाली का पानी. जिससे रोजाना यहां के लोग, बच्चे और बुजुर्ग गुजरते हैं. टूटी सड़क पर जलभराव के चलते यहां दुर्घटनाएं भी आम हैं. यहां गर्मी हो या सर्दी, हालात ऐसे ही रहते हैं और बरसात के बाद जिंदगी बोझ लगने लगती है.

बढ़ते सड़क हादसे

इसे संगम विहार के चुने हुए नुमाइंदों की लापरवाही कहें या नियति, यहां कई परिवार ऐसे भी हैं जिनकी कई पीढ़ियों ने इन्हीं हालातों में जिंदगी गुजार दी सिर्फ इसी उम्मीद में कि एक दिन संगम विहार की बदहाल किस्मत पलटेगी. और सरकारें बदली, मौसम बदले पर नहीं बदले तो यहां के हालात. सड़कों पर बड़े-बड़े गड्ढे और खुली पड़ी नालियां हर दिन किसी नए दुर्घटना को न्योता दे रही हैं.

यहां वर्षों से ज्वेलरी का शोरूम चलाने वाले योगेश बताते हैं कि अभी पिछले हफ्ते एक महिला खुले नाले में गिर कर घायल हो गई थी. मेरा बेटा एक दिन स्कूल जाते समय गड्ढे में गिर गया, उसके पैरों में और हाथों में चोटें आईं. गनीमत यह रही कि पीछे से आ रही गाड़ी की गति धीमी थी.  

नारकीय जीवन जीने को मजबूर

कई पीढियों से परचून की दुकान चलाने वाले धर्मेंद्र का कहना है कि हमारे घर दुकान सभी प्रॉपर्टी के रेट आधे हो गए हैं. इन हालातों के चलते, बाजार खंडहर में बदल गए हैं. इतनी बदबू है और हम लोग वर्षों से ऐसे ही रहने को मजबूर हैं. अब बरसात के समय तो नाली का पानी दुकान के अंदर तक आ जाता है. सभी गर्मी से राहत के लिए मानसून का इंतज़ार करते हैं और हम तो बरसात से डरते हैं.

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