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दिल्ली में विधानसभा चुनाव की तारीखों को लेकर सस्पेंस बरकरार

अब ये तय हो चुका है कि दिल्ली में चनाव होंगे. चुनावी सरगर्मियां भी बढ़ गई हैं लेकिन चुनाव कब होंगे इसको लेकर सस्पेंस है. हालांकि सियासी पार्टियां झारखंड और जम्मू-कश्मीर विधानसभा के साथ ही दिल्ली में चुनाव की मांग कर रही हैं लेकिन जानकार बताते हैं कि ऐसा मुमकिन नहीं हो पाएगा.

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अब ये तय हो चुका है कि दिल्ली में चुनाव होंगे. चुनावी सरगर्मियां भी बढ़ गई हैं लेकिन चुनाव कब होंगे इसको लेकर सस्पेंस है. हालांकि सियासी पार्टियां झारखंड और जम्मू-कश्मीर विधानसभा के साथ ही दिल्ली में चुनाव की मांग कर रही हैं लेकिन जानकार बताते हैं कि ऐसा मुमकिन नहीं हो पाएगा.

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राष्ट्रपति और कैबिनेट की ओर से उपराज्यपाल की दिल्ली विधानसभा भंग करने की सिफारिश को मंजूरी मिलने के बाद सियासी पार्टियों ने ताल ठोंकना शुरू कर दिया है. केंद्र में बीजेपी की सरकार है लेकिन पार्टी ने चुनाव के वक्त को लेकर चुप्पी साध रखी है. ऐसे में सवाल ये है कि क्या झारखंड और जम्मू-कश्मीर के साथ ही दिल्ली में विधानसभा चुनाव कराए जा सकते हैं. जानकारों की माने तो ऐसा मुमकिन नहीं है.

संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने कहा कि चुनाव आयोग को कम से कम 34 दिनों का वक्त चाहिए होता है. इसके अलावा जनवरी में अमूमन चुनाव नहीं कराए जाते क्योंकि वोटर लिस्ट में नए वोटरों के जोड़ने का काम होता है. साथ ही उत्तर भारत में ठंड भी काफी पड़ती है.

लिहाजा जानकारों के मुताबिक दिल्ली में चुनाव फरवरी में हो सकते हैं.

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जानकार बताते हैं कि ये कोई जरूरी नहीं कि विधानसभा भंग करने के तुरंत बाद ही चुनाव कराए जाएं. जैसे ही विधानसभा भंग करने की अधिसूचना जारी होगी. दिल्ली का चुनाव आयोग केंद्रीय चुनाव आयोग को जानकारी देगा और फिर चुनाव की तारीख तय होगी.

लेकिन अगर चुनाव 1 जनवरी के बाद होते हैं तो चुनाव आयोग को कई बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. सबसे बड़ी चुनौती होगी उन सारे वोटरों के नाम जोड़ना जो 2014 में 18 साल के हो जाएंगे.

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