scorecardresearch
 

कम सीटें लेकिन उलझा गणित... दिल्ली में बीजेपी ने मेयर-डिप्टी मेयर के लिए उतारे कैंडिडेट, कहां से जुटेंगे नंबर?

दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) चुनाव में बीजेपी पिछड़ गई थी, लेकिन मेयर और डिप्टी मेयर के लिए कैंडिडेट उतार दिए हैं. एमसीडी के पार्षदों के आंकड़े के लिहाज से आम आदमी पार्टी के पास बहुमत है, लेकिन बीजेपी नंबर गेम में पीछे होने के बाद भी चुनावी मैदान में उतरी है. ऐसे में सवाल उठता है कि बीजेपी कैसे एमसीडी में बहुमत का आंकड़ा जुटाएगी?

Advertisement
X
शैली ओबेरॉय और रेखा गुप्ता
शैली ओबेरॉय और रेखा गुप्ता

दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के मेयर और डिप्टी मेयर चुनाव में बीजेपी ने आखिरी दिन अपने उम्मीदवार को उतारकर आम आदमी पार्टी के निर्विरोध चुने जाने के अरमानों पर पानी फेर दिया है. बीजेपी ने रेखा गुप्ता को मेयर और कमल बागड़ी को डिप्टी मेयर के लिए दांव लगाया है. बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच शह-मात का खेल शुरू हो गया है. आम आदमी पार्टी के पास बहुमत का आंकड़ा है, लेकिन बीजेपी कैसे नंबर गेम जुटाएगी? 

Advertisement

दरअसल, एमसीडी सदन में बीजेपी के पास मेयर और डिप्टी मेयर के जीत का जादुई आंकड़ा नहीं है. इसके बावजूद बीजेपी ने सभी पदों के लिए अपने उम्मीदवार उतारे हैं, लेकिन उन्हें जिताने के लिए पार्षदों का बहुमत जुटाना होगा. बता दें कि नगर निगम एकीकरण के बाद पहली बार 250 वार्डों में हुए चुनाव में आम आदमी पार्टी के 134 पार्षद जीते हैं जबकि बीजेपी के 104 पार्षद ही बन सके. वहीं, कांग्रेस पार्टी को महज 9 सीटों पर जीत हासिल हुई और तीन सीटों पर निर्दलीय जीते हैं. 

दिल्ली एमसीडी में मेयर चुनाव के लिए 250 पार्षद, दिल्ली के सात लोकसभा सांसद, तीन राज्यसभा सदस्य, विधानसभा के 14 विधायक मतदान करेंगे. इस तरह से कुल 274 सदस्य मतदान कर सकते हैं, जिसके लिहाज से मेयर सीट जीतने के लिए 137 वोट हासिल चाहिए. आम आदमी पार्टी के पास बहुमत के लिए पूरा नंबर गेम है जबकि बीजेपी नंबर गेम में काफी पीछे है. 

Advertisement

आम आदमी पार्टी के पास एमसीडी में 134 पार्षद, तीन राज्यसभा सदस्य और 13 विधायकों को मिलाकर 150 सदस्य होते हैं. वहीं, बीजेपी के पास 104 पार्षद हैं और एक निर्दलीय पार्षद भी साथ में है. इस तरह उसका आंकड़ा 105 पर पहुंच गया है. इसके अलावा बीजेपी के सात सांसद और एक विधायक को वोट मिलकर पार्टी 113 के आंकड़े पर पहुंच रही है. वहीं कांग्रेस के 9 पार्षद और निर्दलीय दो पार्षद हैं. बीजेपी अगर इन पार्षद का भी समर्थन जुटा लेती है तो उसका आंकड़ा 134 ही पहुंच रहा है. इसके बावजूद वह बहुमत से पीछे है. 

एमसीडी चुनाव में भले ही बीजेपी को आम आदमी पार्टी ने पछाड़ दिया हो, लेकिन अब मेयर के चुनाव में उसे क्रास वोटिंग के डर सता रहा है. आम आदमी पार्टी ने शैली ओबरॉय को मेयर और आले मोहम्मद इकबाल को डिप्टी मेयर का उम्मीदवार बनाया है. ऐसे में माना जा रहा है कि आम आदमी पार्टी अपने पार्षदों को वोटिंग तक के लिए पंजाब भेज सकती है. इसकी वजह यह है कि बीजेपी के पास बहुमत नहीं होने के बाद भी मेयर के चुनाव में कैंडिडेट उतार रखा है, जिसके जीतने की संभावना सिर्फ क्रॉस वोटिंग से ही है. 

नगर निगम चुनाव के बाद से ही बीजेपी दिल्ली में अपना मेयर बनाने का दावा करती रही है. एमसीडी में बहुमत का आंकड़ा नहीं होने के बाद भी बीजेपी ने जिस तरह से अपने कैंडिडेट उतारे हैं, उससे सियासी कयास लगाए जा रहे हैं. मेयर का चुनाव एक गुप्त मतदान के माध्यम से होता है और पार्षद किसी भी उम्मीदवार को वोट देने के लिए स्वतंत्र होते हैं, क्योंकि दलबदल विरोधी कानून इस पर लागू नहीं होता है. ऐसे में बीजेपी अगर आम आदमी पार्टी के कुछ पार्षदों को साधने में सफल रहती है तो सियासी खेल पूरी तरह से पलट जाएगा. 

Advertisement

बीजेपी के पास मेयर और डिप्टी मेयर पद पर जीत हासिल करने का आंकड़ा नहीं है. पार्टी आप पार्षदों में सेंध लगाए बिना इन दोनों पदों पर जीत नहीं सकती है. बीजेपी के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पार्टी ने दोनों सीटें जीतने के लिए पूरी रणनीति बना रखी है और विपक्ष के उन पार्षदों पर नजर है, जिनकी पृष्ठभूमि बीजेपी रही है. पार्टी के प्रति निष्ठा का आकलन करने के बाद ही मेयर पद पर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है. आम आदमी पार्टी में दूसरे दलों से गए पार्षदों को साथ लेने की प्लानिंग है. इसकी वजह यह है कि पार्षदों के दलबदल आसानी से कर सकते हैं और उनके लिए नियम अड़ंगा नहीं बनेगा. ऐसे में देखना है कि बीजेपी इस रणनीति में कितना सफल होती है. 

 

Advertisement
Advertisement