पिछले साल 4 दिसंबर को हुए एमसीडी चुनाव के नतीजे 7 दिसंबर को आ गए थे. लेकिन 2 महीने के बाद भी दिल्ली को उसका मेयर नहीं मिल पाया. जबकि दिल्ली नगर निगम अधिनियम 1957 ये कहता है कि महापौर और उप महापौर का चुनाव पहली बैठक में ही हो जाना चाहिए. 6 जनवरी, 24 जनवरी और अब 6 फरवरी को लगातार तीसरी बार निगम की बैठक शुरू होते ही पीठासीन अधिकारी ने मनोनीत पार्षदों को वोटिंग राइट के अधिकार के साथ आप के दो विधायकों के सजायाफ्ता होने का हवाला देते हुए सदन से बाहर जाने को कह दिया. बस, फिर बवाल मच गया.
निगम मामलों के जानकार जगदीश ममगांई का कहना है कि पीठासीन अधिकारी को सिर्फ मेयर का चुनाव कराने का अधिकार है. बाकी का चुनाव निर्वाचित मेयर खुद कराएगा. अगर 2 विधायकों को वोटिंग राइट नहीं देने हैं तो बीजेपी के कई काउंसलर (पार्षदों) पर केस चल रहे हैं. उसका भी ध्यान दिया जाना चाहिए.
चुनाव एक साथ होने पर बीजेपी को फायदा
मेयर, डिप्टी मेयर और स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव एक साथ होने पर बीजेपी को फायदा मिलता दिख रहा है. दिल्ली नगर निगम अधिनियम कहता है कि मनोनीत सदस्य या एल्डरमैन सदन की बैठकों में मतदान नहीं कर सकते हैं. हालांकि पीठासीन अधिकारी ने कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए वोटिंग राइट दिया, यही वजह है कि मेयर के चुनाव के लिए आप सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी. कुल 151 वोटों के साथ मेयर, डिप्टी मेयर के लिए आम आदमी पार्टी बहुमत में है. ऐसे में ये हार जाने के बाद भी बीजेपी को स्टैंडिंग कमेटी में 10 वोट का फायदा मिलेगा. ऐसे में अगर आप की मेयर ये चुनाव संपन्न करवाती है तो 10 मनोनीत पार्षदों के कमेटी में वोट नहीं होने का खतरा बीजेपी को लगा रहेगा. वहीं अगर एल्डरमैन स्टैंडिंग कमेटी और हाउस में वोट करते हैं तो स्टेंडिंग कमेटी चैयरमैन के चुनाव में बीजेपी और मजबूत हो जाएगी.
कौन होते हैं एल्डरमैन
बता दें कि डीएमसी ऐक्ट, 1957 के तहत 10 ऐसे विशेषज्ञ मनोनीत पार्षद के तौर पर चुने जाते हैं, जिनके पास स्पेशल नॉलेज या निगम के प्रशासन का अनुभव हो. इन्हें प्रशासक यानि राज्यपाल की तरफ से मनोनीत किया जाता है. दिल्ली के एलजी ने जिन 10 एल्डरमैन को नॉमिनेट किया है, वे सभी बीजेपी के सदस्य हैं. उन्हें वोटिंग का अधिकार मिलने से मेयर, डेप्युटी मेयर और स्टैंडिंग कमिटी के सदस्यों के चुनाव में बीजेपी की संख्या मजबूत होगी.
वोटिंग राइट के पीछे के ये है गणित
मेयर पद के चुनाव के बाद जोन अध्यक्ष पद का चुनाव होगा. 12 जोन में से भाजपा करीब 7 जोन पर दावा कर रही है. यानी साफ है 50% से अधिक जोन में भाजपा अध्यक्ष बनाने की कोशिश में है. यानि एल्डरमैन के जरिए अधिकतर जोन में अपने अध्यक्ष बनाने की जुगत में भाजपी लगी है. BJP के पास शाहदरा नॉर्थ, शाहदरा साउथ, नजफगढ़ जोन, और केशव पुरम ज़ोन में बहुमत है. एल्डरमैन पार्षदों के जरिए बीजेपी ने नरेला सिविल लाइन और मध्य जोन में बहुमत लेने की कोशिश की है. यही वजह है कि बीजेपी का इस वक्त पूरा ध्यान नरेला और सेंट्रल जोन पर केंद्रित है. नरेला जोन में आम आदमी पार्टी और मध्य जोन में कांग्रेस के कुछ पार्षदों को अपनी तरफ मिला करके भाजपा स्थाई समिति पर कब्जा करने की कोशिश की रणनीति बना रही है. आपको बता दें कि नरेला और सिविल लाइन जोन से 4-4 और मध्य जोन में दो एल्डरमैन को उपराज्यपाल ने नामित किया है.
एल्डरमैन को वोटिंग राइट पीठासीन अधिकारी का फैसला
बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी ने कहा कि इतिहास में सर्जिकल स्ट्राइक भी पहली बार हुई थी.वोट डालने का अधिकार पार्लियामेंट तय करती है. केंद्र सरकार तय करेगी किसको वोट डालना है, किसको नहीं. वहीं बीजेपी नेता विजेंद्र गुप्ता ने दिल्ली हाईकोर्ट के आर्डर का हवाला देते हुए एल्डरमैन को वोट देने का अधिकार बताया. उन्होंने कहा कि महापौर के चुनाव में एल्डरमैन वोट कर सकेंगे या नहीं, यह फैसला पीठासीन अधिकारी का है. ऐसा नहीं हो सकता कि एक ही हाउस में एक ही वोटर की दो अलग-अलग स्थिति हो कि वह ज़ोन में वोट कर सकता है लेकिन हाउस में नहीं. जब जोन में आवश्यकता थी, तब वहां वोट पड़ा. आज हाउस में आवश्यकता है तो पड़ रहा है.
विपक्ष का मेयर बनाने को लेकर होगा प्रदर्शन
मेयर, डिप्टी मेयर और स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव में वोटर पार्षद, विधायक और सांसद मेयर बनवाने के लिए आम आदमी पार्टी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेंगे तो दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी ने भी बीजेपी के कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान कर दिया है.
आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने MCD की पीठासीन अधिकारी पर सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि पीठासीन अधिकारी ने एक्ट के खिलाफ़ एल्डरमैन को वोट देने का पॉवर दिया. क्या भारत का संविधान BJP दफ़्तर में लिखा जाएगा. चुनाव के लिए विधायकों को प्रवेश पत्र भेजा गया, फिर विधायकों को बाहर करने की मांग क्यों, जबकि दोनों विधायकों संजीव झा और दुर्गेश पाठक की सजा पर स्टे लगा हुआ है. विधानसभा और लोकसभा में BJP हारेगी तो CM या PM नहीं बनने देगी. BJP एल्डरमैंन को वोट कराना चाहती है ये शक आज साफ हो गया है. बैठक में BJP के 4 सांसद शामिल नहीं हुए, क्योंकि उन्हें पता था कि बैठक नहीं होगी. सभी तथ्य सुप्रीम कोर्ट के सामने रखे जाएंगे. सुप्रीम की निगरानी में मेयर के चुनाव की मांग करेंगे.