दिल्ली में 5 वार्ड के लिए हुए नगर निगम उपचुनावों में कांग्रेस ने एक सीट पर जीत दर्ज की. ऐसे में चर्चा इस बात की रही कि आखिरकार कांग्रेस ने कैसे चौहान बांगर सीट पर 10 हज़ार वोटों से ज़्यादा अंतर से धमाकेदार जीत दर्ज की. लेकिन अगर पूरे चुनावी नतीजों को आंकड़े को देखें तो इस सीट के अलावा बाकी सभी सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई.
यानि पार्टी के दावों के बावजूद फिलहाल कांग्रेस की राह दिल्ली में आसान नहीं दिख रही. यूं तो साल 2013 के विधानसभा चुनावों से लेकर अबतक पार्टी दिल्ली में तीसरे नंबर पर ही रही है, लेकिन पार्टी को उम्मीद है कि वो साल 2022 में होने वाले नगर निगम चुनावों में अपनी स्थिति बेहतर कर लेगी.
बुधवार को आए नतीजों पर नज़र डालें, तो चौहान बांगर के अलावा कांग्रेस सभी सीटों पर तीसरे नंबर पर रही. सिर्फ पार्टी के लिए नंबर तीन पर होना चिंता की बात नहीं, बल्कि जिन सीटों पर पार्टी तीसरे नंबर पर आई है वहां सारी सीटें आम आदमी पार्टी ने जीती और दूसरे नंबर पर बीजेपी रही.
शालीमार बाग सीट पर आप को 50.26% वोट मिले जबकि बीजेपी को 36.34% वोट. वहीं कांग्रेस 12.44% वोट के साथ बड़े अंतर से तीसरे नंबर पर आई. रोहिणी सीट पर तो हालत और बदतर रही, यहां पर आप को 46.49% वोट मिले जबकि बीजेपी को 36.81% वोट वहीं कांग्रेस को महज 8.39% वोट मिले. इस सीट पर तो बहुजन समाज पार्टी ने भी लगभग 7 फीसदी वोट हासिल किए.
कल्याण पुरी सीट पर आम आदमी पार्टी ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया, यहां आप को 56.56% वोट मिले. बीजेपी को 28.71% तो कांग्रेस को सिर्फ 10.57% वोट मिले. त्रिलोकपुरी वार्ड में तो आम आदमी पार्टी को 49.96% वोट प्राप्त हुए, बीजेपी को 30.57% तो कांग्रेस को सिर्फ 11.77% वोट हासिल हुए.
लेकिन चौहान बांगर ने गणित बदल दिया, इस मुस्लिम बहुल सीट पर कांग्रेस को 73.76% वोट मिले, आप को 25.31% वोट ही मिल पाए, जबकि बीजेपी को तो 0.48% यानि 1 फीसदी से भी कम वोट मिला. पिछले एमसीडी चुनावों में चौहान बांगर में कांग्रेस को 33.74% वोट मिले थे और वो दूसरे नंबर पर रही थी.
यूं तो 2017 के एमसीडी चुनावों में भी कांग्रेस की जमानत रोहिणी और शालीमार बाग में जब्त हुई थी, लेकिन तब कल्याणपुरी और त्रिलोकपुरी में कांग्रेस जमानत बचाने में कामयाब रही थी. किसी भी प्रत्याशी की जमानत तब नहीं बचती है जब उसे कुल डाले गए वोट का 16.66% से कम हिस्सा मिलता है.