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दिल्ली: एमसीडी करेगी घरेलू संपत्तियों को डी-सील, जल्द आएगी टाइमलाइन

बीजेपी ने तो यहां तक मांग की है कि अब सुप्रीम कोर्ट की बनाई मॉनिटरिंग कमेटी का औचित्य ही खत्म हो गया है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट को जल्द ही इसे भंग कर देना चाहिए.

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स्टोरी हाइलाइट्स
  • दिल्ली नगर निगमों को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मिली राहत
  • सुप्रीम कोर्ट की बनाई मॉनिटरिंग कमेटी का औचित्य खत्म: बीजेपी
  • हजारों की तादाद में सील हुई दुकानें अभी नहीं खुलेंगी

दिल्ली के तीनों नगर निगमों को सुप्रीम कोर्ट के एक ताजा फैसले से राहत मिली है. 14 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया था कि रिहायशी कामकाज के लिए किसी प्रॉपर्टी के मिसयूज का मामला सीलिंग के लिए बनी मॉनिटरिंग कमेटी के दायरे में नहीं आता है. इसके बाद बीजेपी शासित दिल्ली नगर निगम की तीनों इकाइयां इस मसले पर काम कर रहीं हैं कि आखिरकार डीसीलिंग की प्रक्रिया कब शुरू की जाए.

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इसी मसले पर दिल्ली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने एमसीडी के तीनों मेयर के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और बताया कि तीनों मेयर से कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत के मद्देनजर जल्द ही कार्रवाई शुरू कर दी जाए. वहीं इस पर जल्द ही टाइमलाइन आएगी. बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और उत्तर पूर्वी दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए.

मनोज तिवारी ने तब की याद दिलाई जब उन्होंने गोकलपुर इलाके में एक घर की सील तोड़ दी थी. मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था, जहां तिवारी को सील तोड़ने के लिए फटकार भी पड़ी थी, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई. मनोज तिवारी ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट के 14 अगस्त के फैसले ने साफ कर दिया है कि मेरा पक्ष तब सही था और हमारी पार्टी ने हमेशा सीलिंग को लेकर लोगों की आवाज बुलंद की है.'

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बीजेपी ने तो यहां तक मांग की है कि अब सुप्रीम कोर्ट की बनाई मॉनिटरिंग कमेटी का औचित्य ही खत्म हो गया है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट को जल्द ही इसे भंग कर देना चाहिए. पार्टी का मानना है कि पहले इस काम के लिए एक एसआईटी का निर्माण किया गया है, जिसमें सभी एजेंसियों से जुड़े अधिकारी मौजूद हैं. इसलिए दो तरह की कमेटी का कोई मतलब नहीं है. 

किन्हें मिलेगा फायदा?

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से हजारों की तादाद में सील हुई दुकानें नहीं खुलेंगी. फायदा सिर्फ उन संपत्तियों को ही होगा, जहां प्रॉपर्टी का इस्तेमाल रिहायशी काम के लिए हो रहा है लेकिन उन्होंने नियमों की धज्जियां उड़ाई हुईं हैं. ऐसे में उन दुकानदारों के लिए अब भी कोई राहत नहीं है, जो कोरोना के समय सीलिंग को लेकर भी परेशान हैं.

 

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