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सीटें, बूथ, वोटर, मेयर... यहां जानिए दिल्ली MCD चुनाव से जुड़ी हर डिटेल

दिल्ली नगर निगम चुनाव की तारीखों का ऐलान शुक्रवार को हो सकता है. राज्य चुनाव आयोग ने शाम चार बजे प्रेस कॉफ्रेंस बुलाई है. एमसीडी चुनाव पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं. 15 वर्षों से काबिज बीजेपी अपना दबदबा बनाए रखना चाहती है तो आम आदमी पार्टी एमसीडी में आने के लिए बेताब है. कांग्रेस भी वापसी की कवायद कर रही है.

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दिल्ली एमसीडी चुनाव (फाइल फोटो)
दिल्ली एमसीडी चुनाव (फाइल फोटो)

देश की राजधानी दिल्ली में नगर निगम (एमसीडी) चुनाव का शुक्रवार को ऐलान हो सकता है. दिल्ला का राज्य निर्वाचन आयोग ने शाम चार बजे प्रेस कॉफ्रेंस बुलाई है, जिसमें एमसीडी चुनाव की तारीखों की घोषणा हो सकती है. दिसंबर के पहले या दूसरे सप्ताह में दिल्ली नगर निगम चुनाव कराए जाने की संभावना है. माना जा रहा है कि एक ही चरण में एमसीडी के सभी पार्षद सीटों पर वोटिंग हो सकती है.

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एमसीडी के एकीकरण के बाद अब अस्तित्व में आए दिल्ली नगर निगम के वार्ड की संख्या पहले की तुलना में घट गई है तो पार्षद के क्षेत्र का दायरा भी बढ़ा है. परिसीमन के चलते नगर निगम के वार्डों के नाम और नंबर बदल गए हैं. अब दिल्ली में तीन नहीं, बल्कि एक मेयर होगा. इस तरह से दिल्ली एमसीडी के चुनाव पर इस पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं. 

दिल्ली में 250 पार्षद सीटें
दिल्ली नगर निगम में कुल 250 पार्षद सीटें हैं, जबकि पहले 272 सीटें थीं. पहले उत्तरी और दक्षिण नगर निगम 104-104 पार्षद सीटें थीं, जबकि पूर्वी दिल्ली में 64 सीटें हुआ करती थीं, लेकिन एकीकरण और परिसीमन के बाद 250 सीटें हैं. दिल्ली के 21 विधानसभा क्षेत्रों में एक-एक वार्ड कम किए गए हैं तो एक विधानसभा में सीट बढ़ी भी है. इस तरह दिल्ली में 250 वार्डों में पार्षद के चुनाव होंगे.

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एमसीडी में 42 सीटें रिजर्व
दिल्ली नगर निगम की कुल 250 पार्षद सीटों में से 42 सीट को अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित किया गया है. 42 रिजर्व सीटों का फैसला दिल्ली का राज्य निर्वाचन आयोग चिन्हित और आरक्षित करके नोटिफिकेशन जारी करेगा. वहीं, 50 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए रिजर्व रहेंगी. इस तरह महिलाओं, ओबीसी और सामान्य वर्ग वाली पार्षद सीटें होंगी. 

एमसीडी में सामान्य वर्ग के वार्डों में 50 प्रतिशत वार्ड महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी. इस तरह से अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित वार्डों में महिलाओं के लिए 21 वार्ड और सामान्य वर्ग 104 वार्ड महिलाओं के लिए आरक्षित होंगे. आम तौर पर यह प्रक्रिया चुनाव की घोषणा करने से कुछ दिन पहले की जाती है. ऐसे ही ओबीसी के लिए 27 फीसदी सीटें आरक्षित करनी होगी. 

डेढ़ करोड़ मतदाता
एमसीडी चुनाव में फिलहाल 1.49 करोड़ मतदाता है. दिल्ली के सभी मतदान केंद्रों की सूची को छह नवंबर तक तैयार करने का काम पूरा हो जाएगा. पोलिंग बूथवार मतदाताओं की सूची जारी की जाएगी. राज्य चुनाव आयोग दिल्ली विधानसभाओं के हिसाब से तैयार मतदाता सूची का ही इस्तेमाल आगामी निगम चुनाव में करेगा. ऐसे में 1500 मतदाताओं पर एक पोलिंग बूथ बनाए जा सकते हैं. 

2800 पोलिंग स्टेशन
दिल्ली में 250 वार्ड में निगम चुनाव होंगे. दिल्ली विधानसभा के हिसाब से बने मतदाता सूची का इस्तेमाल एमसाडी चुनाव में होगा. पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान दिल्ली में 2860 पोलिंग स्टेशन पर कुल 13 हजार 760 मतदान बूथ बनाए गए थे, लेकिन यह निकाय चुनाव है. ऐसे में मतदाताओं की संख्या बढ़ी है, जिसके लिहाज से मतदान केंद्र संख्या पहले से ज्यादा होगी. जिला चुनाव अधिकारियों को निर्देश है कि पोलिंग स्टेशन जिस वार्ड के लिए बनाए जा रहे हैं, वे उसी की सीमा क्षेत्र में स्थित हो. एमसीडी चुनाव कराने के लिए बिहार के 12 जिलों से 30 हजार ईवीएम मंगाई गई हैं.

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एक मेयर-एक कमिश्नर
दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) तीनों इलाकों में बंटी हुई थी, जो उत्तरी दिल्ली, दक्षिण दिल्ली और पूर्वी दिल्ली के रूप में जानी जाती थी. मोदी सरकार ने मई 2022 में दिल्ली के तीनों निगमों को मिलाकर एकीकृत कर दिया. इस तरह एक एमसीडी हो गई है. दिल्ली एमसीडी में अभी तक मेयर, कमिश्नर और चीफ इंजीनियर तीन-तीन हुआ करते थे, जो अलग-अलग जोन के होते थे. एमसीडी के एकीकरण किए जाने के बाद अब मेयर, कमिश्नर और चीफ इंजीनियर एक-एक होंगे. उनके पास पहले से ज्यादा शक्तियां होंगी.  

पार्षद चुनेंगे दिल्ली का मेयर 
दिल्ली नगर निगम चुनाव में सीधे मेयर का चुनाव नहीं किया जाता बल्कि पार्षद के जरिए होता है. दिल्ली में 250 पार्षद के लिए चुनाव होंगे. ऐसे में जिस पार्टी के सबसे ज्यादा पार्षद जीतकर आएंगे, उस पार्टी का मेयर होगा. पार्षदों के जरिए मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव किया जाता है. पांच साल में हर एक साल पर मेयर, डिप्टी मेयर और स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन का चुनाव किया जाता है.

राजनीतिक दलों की अग्निपरीक्षा
एमसीडी चुनाव में कांग्रेस, बीजेपी और आम आदमी पार्टी के लिए अग्निपरीक्षा है. पिछले 15 सालों से एमसीडी पर बीजेपी काबिज है और एक बार फिर से अपने वर्चस्व को बनाए रखने की कवायद में है. वहीं, दिल्ली की सत्ता पर भले ही आम आदमी पार्टी आठ वर्षों से काबिज है, पर एमसीडी में अपना दबदबा नहीं बना सकी है. ऐसे में आम आदमी पार्टी एमसीडी में आने के लिए हरसंभव कोशिश में है. कांग्रेस दिल्ली में अपने खोए हुए जनाधार में वापसी के लिए हाथ-पांव मार रही है और एमसीडी में दोबारा वापसी के लिए हरसंभव कोशिश कर रही है.

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आम आदमी पार्टी कभी दिल्ली में कूड़े की सियासत को लेकर बीजेपी को घेर रही है तो कभी मतदातओं को लुभाने के लिए विकास की सौगात दी रही है. दिल्ली की साफ-सफाई और कूड़े के ढेर को लेकर केजरीवाल एमसीडी का एजेंडा सेट कर रहे हैं. केजरीवाल ने गुरुवार को दिल्ली की महिलाओं के लिए विशेष चार 'महिला मोहल्ला क्लीनिक' की सौगात दी है, जहां महिलाओं को स्त्री रोग विशेषज्ञ की सेवाएं, जांच और दवाइयां मुफ्त मिलेंगी. यहां पर 12 साल के कम उम्र के बच्चों का इलाज किया जाएगा. 

बीजेपी का एमसीडी प्लान
बीजेपी दिल्ली नगर निगम में 15 साल से काबिज है और अपनी जीत के सिलसिले को बरकरार रखने की कवायद में है. यही वजह है कि बीजेपी मतदाताओं को लुभाने के लिए हरसंभव कोशिश में जुट गई है. पीएम नरेंद्र मोदी ने बुधवार को दिल्ली के कालकाजी इलाके में झुग्गी-झोपड़ी वालों को 3024 फ्लैट की चाबियां सौंपीं. माना जा रहा कि इस कदम से दिल्ली नगर निगम चुनावों में बीजेपी को फायदा मिल सकता है.

दिल्ली की झुग्गियों में रह रहे लोगों को पक्के घर देने के कदम से बीजेपी को मदद मिलेगी, क्योंकि झुग्गी-झोपड़ी में रह रहे मतदाता आम आदमी पार्टी के पारंपरिक वोट बैंक माने जाते हैं. इसीलिए झुग्गी-झोपड़ी वालों को फ्लैट की चाबी को सौंपने के लिए पीएम मोदी के कार्यक्रम की टाइमिंग काफी महत्वपूर्ण है. इसके अलावा 1998 से 31 मार्च 2009 तक की एमसीडी में नियुक्ति वाले सभी कर्मचारियों को स्थाई तौर पर पक्का किया है. 

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वहीं, कांग्रेस दिल्ली में अपने सियासी वजूद को बचाए रखने की लड़ाई लड़ रही है. ऐसे में पार्टी सिर्फ वादों के सहारे एमसीडी में अपना नैया पार लगाना चाहती है. कांग्रेस एमसीडी में वापसी के लिए हरसंभव कोशिश में जुटी है. केजरीवाल सरकार और एमसीडी में काबिज बीजेपी पर सवाल खड़े कर रही है. ऐसे में देखना है कि दिल्ली के नगर निगम चुनाव में सियासी बाजी कौन मारता है.

 

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