दिल्ली में एमसीडी चुनावों की तारीखों का ऐलान हो गया है. यूपी फतह के बाद अब बीजेपी की नजरें दिल्ली नगर निगम चुनाव पर हैं. बीजेपी फिलहाल विजय रथ पर सवार है और केजरीवाल एंड टीम पंजाब की हार के सदमे में है. बीजेपी पिछले विधानसभा चुनाव में मिली हार का बदला लेने के लिए इस मौके को गंवाना नहीं चाहती है. इसीलिए बीजेपी ने एमसीडी चुनाव को नाक का सवाल बना लिया है. मौजूदा पार्षदों के टिकट काटने का बड़ा फैसला भी कर लिया है.
दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने भले ही इस फैसले को नए चेहरों को मौका देने की एक कवायद भर बताया है. लेकिन इस फैसले के पीछे की कहानी कुछ और ही है. दलील भले ही नए चेहरों को मौका देने की हो, लेकिन मौजूदा पार्षदों के टिकट काटकर बीजेपी की कोशिश उस सत्ता विरोधी लहर से पार पाने की है, जो दिल्ली की लड़ाई में केजरीवाल के खिलाफ उसकी कमजोर कड़ी बन सकती थी. क्योंकि केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी बीजेपी की सत्ता वाली तीनों एमसीडी को नाकारा साबित करने में जुटी है.
एमसीडी के भ्रष्टाचार और नाकारापन को मुद्दा बना रही आम आदमी पार्टी के खिलाफ तो बीजेपी का ये दांव तुरुप का इक्का साबित हो सकता है. लेकिन खुद बीजेपी के भीतर इस फैसले के बाद भूचाल सा आ गया है. क्योंकि मौजूदा पार्षदों के टिकट काटने का मतलब है कई दिग्गज नेताओं को घर बैठा देना. अचानक आए इस फैसले से हैरान मौजूदा पार्षद भले ही खुलकर कुछ नहीं बोल पा रहे हों, लेकिन कहीं कहीं दिल का गुबार आंसुओं की शक्ल में बाहर भी आ गया.
दरअसल दिल्ली में बीजेपी 2007 से एमसीडी की सत्ता पर काबिज है. शीला दीक्षित के मुख्यमंत्री रहते बीजेपी ने दो बार एमसीडी का चुनाव जीता. यहां तक कि 2012 में एमसीडी के तीन टुकड़े होने के बाद भी तीनों एमसीडी में बीजेपी को ही सत्ता मिली. इस बार बीजेपी का मुकाबला कांग्रेस से कम और आम आदमी पार्टी से ज्यादा है. जिसने 70 सीटों वाली दिल्ली विधानसभा में बीजेपी को महज तीन सीटों पर समेट दिया था. इसीलिए दिल्ली की सत्ता के इस सबसे बड़े संग्राम में बीजेपी कोई चूक नहीं करना चाहती.
अब बीजेपी का फैसला बड़ा भी है और कड़ा भी, इसीलिए तो दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी को टिकट काटने के फैसले का ऐलान करते वक्त दिल्ली के दिग्गज नेताओं की फौज इकठ्ठा करनी पड़ी. जिनमें डॉ. हर्षवर्धन समेत दिल्ली के तमाम सांसद शामिल हैं. क्योंकि जरा सी चूक से अगर अंदरूनी बवाल को हवा मिली, तो यूपी का मजा दिल्ली में किरकिरा हो सकता है.