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Delhi MCD Election 2022: रोटेशन से बिगड़ा पार्षदों का गणित, पाला बदलने को हैं तैयार

Delhi MCD Election 2022: दिल्ली में एमसीडी चुनाव को लेकर बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में सियासी घमासान तेज हो गया. इस बीच आइए समझते हैं कि पहले रोटेशन और पालाबदल से कैसे दिल्ली एमसीडी चुनाव में सियासी समीकरण बदले हैं?

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दिल्ली एमसीडी इलेक्शन 2022
दिल्ली एमसीडी इलेक्शन 2022
स्टोरी हाइलाइट्स
  • दिल्ली एमसीडी इलेक्शन, सियासी घमासान तेज
  • BJP, कांग्रेस और AAP ने झोंकी सियासी ताकत
  • रोटेशन और पालाबदल से बदला चुनावी गणित

Delhi MCD Election 2022: ताजा रोटेशन से दिल्ली के निगम में तीनों मेयरों और स्टैंडिग कमेटी चेयरमैन के टिकट अपने आप ही कट गए हैं क्योंकि कई महिला सीट सामान्य हो गई तो कई सीटें आरक्षित हो गई हैं. लिहाजा पार्षद वार्ड और सीट जंप के लिए भी रेडी हैं. निगम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), आम आदमी पार्टी (एएपी) और कांग्रेस के बीच घमासान तेज हो गई है. रोटेशन में अपनी सीट गंवाने वाले पार्षदों ने पाला बदलते हुए कांग्रेस पार्टी से किनारा कर लिया है. तो मौजूदा वक्त में बीजेपी, आप और कांग्रेस के पार्षदों की संख्या पहले से काफी बदल गई है. अधिकतर सिटिंग पार्षद वार्ड और सीट जंपिंग के लिए भी रेडी हैं.  

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वार्ड वार 2017 में ये थे सीटों के आंकड़े

बता दें कि 2017 में बीजेपी ने 181 सीटे जीती. आम आदमी पार्टी ने 49 और कांग्रेस ने 31 सीटें हासिल की. वार्ड वार देखें तो उत्तरी दिल्ली नगर निगम की 104 सीटों पर बीजेपी ने 64, आम आदमी पार्टी ने 21, कांग्रेस ने 16  और अन्य ने 3 सीट जीती थीं. दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की 104 सीटों पर बीजेपी ने 70, आम आदमी पार्टी ने 16, कांग्रेस ने 12 और अन्य ने 6 सीट जीती थीं जबकि पूर्वी दिल्ली में 64 सीटों में बीजेपी ने 47, आप ने 12, कांग्रेस ने 3 और अन्य ने  2 सीट हासिल की.  

क्या अलग तैयारियां कर रहा है आयोग?

पिछले चुनाव 2017 में हुआ जिसकी अधिसूचना 27 मार्च 2017 को चुनाव होने के ठीक 1 महीने पहले जारी हुई. यानि 23 अप्रैल 2017 को वोट पड़े और 26 अप्रैल 2017 को मतदान के नतीजे घोषित हुए. दिल्ली राज्य निर्वाचन आयोग के सूत्रों का कहना है कि 2017 के एमसीडी चुनावों में ईवीएम मशीन एम-1 जेनरेशन की थी. जो इस बार मशीनों का अपग्रेडेड वर्जन होगा. एक ईवीएम मशीन में कंट्रोल यूनिट और बैलेट यूनिट का पेपर रहेगा. सभी 272 वार्ड के लिए कुल 13 हजार 234 पोलिंग बूथ बनाए गए थे जबकि 15 हजार ईवीएम मशीनें वो भी एम-1 जेनरेशन की लगी थीं.

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