एमसीडी चुनाव में गठबंधन की मर्यादा फिलहाल तो निभती नहीं दिख रही. केंद्र या राज्यों में गठबंधन सरकार चला रहे दल दिल्ली में खुले तौर पर आमने सामने होंगे. बात चाहे एनडीए की हो या यूपीए की या फिर बिहार में महागठबंधन की, सभी अपनी-अपनी तलवार भांज रहे हैं.
केंद्र सरकार में एनडीए का हिस्सा बनी बिहार की लोक जनशक्ति पार्टी अपने बूते पर चुनाव लड़ने पर आमादा है. जाहिर है सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारने की मंशा सिर्फ कांग्रेस या आरजेडी या फिर आम आदमी पार्टी से ही मुकाबला तो नहीं होगा. सामने बीजेपी के उम्मीदवार भी होंगे.
लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष रामविलास पासवान का कहना है कि हमारे कार्यकर्ता तो अलग से ही लड़ने पर जोर दे रहे हैं. लेकिन हमने अबतक बीजेपी की ओर से किसी प्रस्ताव के लिए दरवाजे खोल रखे हैं. उन्होंने कहा-विधानसभा चुनाव में हमारी पार्टी से कोई मदद ना मांगने के बाद हमारे कार्यकर्ता चाहते हैं कि दिल्ली में पूर्वांचली मतदाताओं के हितों का ध्यान रखते हुए पार्टी अपने उम्मीदवार उतारे. पासवान ने कहा उम्मीदवारों की लिस्ट तैयार है, अब हमारी राष्ट्रीय कार्यसमिति जल्दी ही इस पर फैसला करेगी.
इसी तरह बिहार में महागठबंधन सरकार की अगुआ जेडीयू दिल्ली में अलग से ताल ठोक रही है. कांग्रेस बिहार सरकार के महागठबंधन का हिस्सा है लेकिन यहां आमने सामने होगी. जेडीयू के महासचिव और प्रवक्ता के सी त्यागी का कहना है कि फिलहाल तो जेडीयू अपनी ताकत आजमाने के लिए दिल्ली में स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने के मूड में है. कांग्रेस का क्या मूड है ये अभी पता नहीं. त्यागी ने कहा कि हम पूर्वांचल यानी बिहार और पूर्वी यूपी के मतदाता बहुल इलाकों में ही अपना जोर रखेंगे.
वहीं आरजेडी और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी , शिवसेना और तृणमूल कांग्रेस भी ताल ठोक रहे हैं. मुमकिन है जिसे बीजेपी, कांग्रेस, सपा, बसपा और आप से टिकट ना मिले वो दक्षिण या उत्तर पूर्व की किसी पार्टी तक का टिकट ले आए. कुल मिलाकर गठबंधन जैसी कोई सूरत दिल्ली नगर निगम चुनाव में फिलहाल नजर नहीं आ रही है.