Delhi MCD Election 2022: दिल्ली की तीनों नगर निगमों का एकीकरण केंद्र सरकार करने जा रही है. सरकार ने इसको लेकर चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखी है. ऐसे में एमसीडी चुनावों से ठीक पर पहले निगमों के एकीकरण की बात के सियासी और आर्थिक मायने समझना बेहद जरूरी हैं. साथ ही कुछ सवाल भी उठ रहे हैं मसलन- तीन में से 2 नगर निगम घाटे में तो फिर एकीकरण का क्या तरीका होगा. एक निगम, एक मेयर... एकीकरण से कैसे बदलेगा दिल्ली नगर निगम का स्वरूप. मुख्यमंत्री के बराबर कैसे होगी मेयर की पावर और घाटे में चल रही निगमों को मुनाफे में कैसे बदला जाए? आइए तलाश से इनके जवाब.
'...तो निगम में दूर हो जाएंगी आर्थिक दिक्कतें'
निगम में नए बदलाव का और मुनाफे में निगम को लाने पर दिल्ली सरकार के पूर्व मुख्य सचिव ओमेश कहते हैं कि हमने सरकार से कहा था कि कलकत्ता की तरह दिल्ली में मेयर एंड काउंसिल बनाई जाए जो सारे आर्थिक फैसले ले सके. इसके बाद निगम में आर्थिक दिक्कतें बिल्कुल खत्म हो जाएगी.
साल 2012 से नगर निगम में एक मुद्दा हमेशा चुनावों का मुद्दा रहा वो है कर्मचारियों के वेतन का. घाटे में चल रही नगर निगम इसके लिए दिल्ली सरकार को समय-समय पर जिम्मेदार ठहराती रही है. ऐसे में तीनों निगम को एक करने की कवायद के मायने क्या हैं? इसको लेकर लगातार ये बात उठने लगी है कि क्या मेयर एंड काउंसिल दिल्ली में तैयार किया जाए जैसे कलकत्ता में है या फिर पूर्व की प्रणाली को लागू किया जाए.
दिल्ली में निगमों की कमाई का क्या है जरिया?
असल में गाड़ियों का टोल टैक्स, हाउस टैक्स, विज्ञापन कर और लाइसेंस फीस आदि ही निगम की कमाई के जरिए हैं. तीनों निगमों में सबसे ज्यादा कमाई दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की है. वहीं उत्तरी और पूर्वी दिल्ली हर साल घाटे में जा रही हैं.
हालांकि जानकर ये भी मानते हैं कि अगर तीनों निगम को एक कर दिया जाए तो इससे खर्चों में कमी आएगी. निगम को तीन भागों में बांटने से एक नुकसान ये भी था कि हर खर्चा तीन जगह बंटने लगा. तीन मेयर, तीन निगम आयुक्त, हर कमेटी के तीन चैयरमैन यानी घाटे में चल रही नगर निगम पर हर तरह से अतिरिक्त बोझ.
दिल्ली सरकार के पूर्व मुख्य सचिव ओमेश ने कहा, 'संसाधन है नहीं और हम खर्चे ज्यादा बढ़ा दें तो घाटा तो होगा ही. फाइनेंस कमेटी ये तय करे कि किसको कितनी जरूरत है. एक एकाउंट हो वहीं से पैसे रिलीज हों.'
खैर भले ही अब इस पर सियासत चल रही हो लेकिन घाटे में चल रही नगर निगम के कर्मचारी भी रोज-रोज सैलरी न मिलने की वजह से धरने प्रदर्शन से परेशान होकर कोई समाधान चाहते हैं, जिससे ये अनियमितताओं को खत्म किया जा सके.