विश्वास नगर विधानसभा के अंतर्गत आने वाला विश्वास नगर वार्ड साल 2018 सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहा. इस रिहाइशी इलाके में बड़ी संख्या में छोटी फैक्ट्रियां और गोदाम थे जिनको निगम ने 2018 में सील कर दिया. इलाके में सीलिंग इस बार सबसे बड़ा मुद्दा है. बड़ी संख्या में इस इलाके में सीलिंग होने की वजह से कई लोगों के रोजगार छीन गए. यहां रहने वाले लोगों ने अपने मकानों को खुलवाने के लिए एमसीडी में कन्वर्जन टैक्स, पार्किंग टैक्स और हाउस टैक्स भी भरा लेकिन कई फैक्ट्रियां आज भी सील हैं.
आनंद विहार (18E)
आनंद विहार वार्ड में भी कई बड़ी कॉलोनियां हैं. जैसे- ऋषभ विहार, जागृति एन्क्लेव, बाहुबली एन्क्लेव, सूरज मल विहार, श्याम, शारद विहार, शांति विहार, किरण विहार, योजना विहार, पुष्पांजलि एन्क्लेव इनके अलावा रेलवे की कॉलोनी जहां पर हर तरह की सुविधाएं हैं. इन हाई प्रोफाइल कॉलोनी में 15 हजार जैन समाज के लोग हैं. लगभग 30 फीसदी यहां रहने वालों की मांग है कि जैन समाज के व्यक्ति को टिकट मिले.
पिछले 2017 के चुनावों में कांग्रेस ने इस समीकरण को समझते हुए से मयूरा जैन को टिकट दिया था. जैन समाज के लोगों ने जमकर कांग्रेस के उम्मीदवार को वोट भी दिया था लेकिन बीजेपी और एएपी में वोट बंटने से कांग्रेस उम्मीदवार मयूरा को हार का सामना करना पड़ा. इस वार्ड में गीतांजलि अपारमेंट है जो डीडीए की कॉलोनी है. लगभग 450 परिवार यहां रहते हैं. इस कॉलोनी में सबसे बड़ी परेशानी पीने की पानी है. यहां लोगों को पार्कों में लगे समर्सिबल के जरिए अपने पीने की पानी की जरूरत को पूरा करते हैं.
आईपी एक्सटेंशन वार्ड (19E)
आईपी एक्सटेंशन वार्ड में कई बड़ी हाई प्रोफाइल मल्टी स्टोरेज बिल्डिंग है. यहां रहने वाली पढ़ी-लिखी आबादी की सबसे बड़ी समस्या ये है कि यहां ना तो सोसाइटी में एमसीडी काम करने के लिए आती है और ना ही दिल्ली सरकार लेकिन वोट हर कोई लेने के लिए सब आ जाते हैं. अग्रसेन आवास सोसाइटी के एक्सक्यूटिव मेंबर अमित शर्मा के मुताबिक पुरानी पानी की लाइनें ब्रेक हो चुकी है. पीने के पानी की सबसे बड़ी परेशानी है. सोसाइटी में पार्किंग एक सबसे बड़ा मुद्दा है. सोसाइटी के अंदर तो गाड़ियां खड़ी होती है लेकिन बाहर पटरी ऊपर भी लोग गाड़ी लगा देते हैं, जिसके कारण बुजुर्गों का चलना मुहाल है. पिछले 5 सालों में इलाके में चेन स्नेचिंग की वारदातें इतनी ज्यादा बढ़ गई हैं कि ऐसा लगता है कि अपराधियों को पुलिस का डर है ही नहीं.
इस वार्ड में एक गाजीपुर गांव है, जिसकी आबादी 30 हजार की है और लगभग 10 हजार वोटर हैं. पिछले 5 सालों में यहां कबाड़ का कारोबार करने वाले कारोबारियों ने अपना डेरा जमाना शुरू कर दिया है. लोगों की मानें तो आए दिन चोरी की बड़ी वारदातें इस इलाके में हो रही हैं और पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती है.
गाजीपुर कल्याण परिषद के जरनल सेक्रटरी वीपी सिंह का कहना है कि यहां बीचों-बीच सड़कों पर विवादित धार्मिक स्थल बनाए गए हैं जिनको हाईकोर्ट ने हटाने का आदेश दे दिया है. बावजूद इसके निगम उसको हटाता नहीं है और ना ही दिल्ली सरकार कोई संज्ञान लेती है जिसके कारण लोगों को घंटों जाम से जूझना पड़ता है.
प्रीत विहार वार्ड (20E)
प्रीत विहार वार्ड पूर्वी दिल्ली नगर निगम का सबसे वीवीआइपी वार्ड है. इस वार्ड में बड़ी संख्या में कोठियां है. यह पूरी सोसाइटी वेल डेवलप्ड है लेकिन इस सोसाइटी में भी साफ-सफाई और पार्कों का रख-रखाव एक बड़ा मुद्दा है. जो कि सीधे तौर पर निगम से जुड़ा है. इसके अलावा पीने के पानी की भी एक बड़ी समस्या इस इलाके में है.
स्थानीय निवासी वनीत गुप्ता की मानें तो इस वार्ड में सड़कें 7 से 8 साल पहले बनीं थी. उसके बाद से अभी तक सारी टूटी हुई हैं. इसके अलावा घरों के पीछे सर्विस लाइन है. सर्विस लाइन से कभी भी कूढ़ा उठता ही नहीं है. प्रीत विहार से लेकर निर्माण विहार तक कि मुख्य सड़क की सर्विस लाइन और फुटपाथ बनाने का काम चल रहा है लेकिन एक साल हो गया अभी तक पूरा नही हो पाया है जो बरसात के दिनों में बड़े हादसे को न्योता देगा.
इस सीट के राजनीतिक समीकरण?
साल 2015 के चुनावों से पहले इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहता था. 2015 के बाद से ये सीट बीजेपी के खाते में चली गई. बीजेपी के ओम प्रकाश शर्मा ने कांग्रेस के नसीब सिंह को मात दी. 2012 की निगम चुनावों से पहले इस विधानसभा के 4 वार्ड में से 3 वार्ड में जहां कांग्रेस के निगम पार्षद जीतकर आए थे. वहीं, 2017 के निगम चुनाव में इस इलाके की जनता ने सभी वार्ड में बीजेपी को जीत दिलाकर पूर्वी दिल्ली नगर निगम में भेजा.