Delhi MCD Election: दिल्ली नगर निगम के चुनाव कब होंगे, एकीकरण का क्या प्रोसेस होगा और कैसे चुनाव को लेकर परिसीमन होगा. इन सवालों पर दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव और फाइनेंस सेक्रेटरी उमेश सांगेल ने आजतक से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि एकीकरण एक बड़ा प्रॉसेस है. उसके बाद परिसीमन भी एक लंबी और बड़ी प्रक्रिया है जिसको 10 दिन या कहें 2 महीने में पूरा नहीं किया जा सकता. इसमें लगभग एक साल या उससे भी ज्यादा का वक्त लग सकता है.
कब तक होगा परिसीमन?
ओमेश सांगेल के मुताबिक पिछली बार जब दिल्ली में परिसीमन हुआ था. उसमें भी लगभग 15 महीने का वक्त लगा था. ऐसे में जाहिर सी बात है कि परिसीमन जब तक नहीं होता. तब तक चुनाव दिल्ली में संभव नहीं है. परिसीमन जनसंख्या के आधार पर होता है. जोकि हर विधानसभा की जनसंख्या निर्भर करेगा. इसके साथ ही महिला आरक्षित सीटें को भी चुनाव आयोग को ध्यान में रखना होगा.
अनुसूचित जाति (एससी) सीट को भी चुनाव आयोग को ध्यान में रख कर के ही परिसीमन करना होगा. जो हर इलाके की अलग-अलग जनसंख्या पर निर्भर करता है. जिसके बाद चुनाव आयोग इसकी रिपोर्ट केंद्र को भेजेगा. अगर इस बीच किसी पार्टी को या किसी वार्ड के लोगों को कोई ऑब्जेक्शन हुआ तो वह कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है. ऐसे में जब तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं होती तब तक चुनाव संभव नहीं है.
केंद्र के अधिकारी संभालेंगे निगम को
उमेश सिंगल के मुताबिक जब तक निगम के चुनाव नहीं हो जाते तब तक केंद्र सरकार के बड़े अधिकारी निगम को पूरी तरह से संभालेंगे. हालांकि अभी जितने भी कमिश्नर से अधिकारी हैं वे पहले की तरह ही काम करेंगे, लेकिन केंद्र की तरफ से जो अधिकारी होगा उसको दिल्ली के मेयर कमिश्नर स्टैंडिंग कमेटी चेयरमैन से भी ज्यादा पावर होगी. अधिकारी नियुक्त होने से दिल्ली की जनता के जो रोजमर्रा के काम हैं वह नहीं रुकेंगे. हालांकि चुने हुए नुमाइंदों के जो फंड से जुड़े काम होते हैं उन पर कुछ वक्त तक रोक जरूर लग जाएगी.
निगम एक होने से नहीं होगी फंड की कमी
उमेश सिंगल के मुताबिक निगम को एक करना एक महत्वपूर्ण कदम है. हालांकि, दिल्ली सरकार अगर चाहे तो थर्ड पे या फिफ्थ पे कमीशन को लागू कर दे तो आज भी फंड की कमी दिल्ली के निगमों में नहीं होगी. इसके अलावा निगम एक होने के चलते साउथ दिल्ली का रेवेन्यू अब पूर्वी दिल्ली और नार्थ दिल्ली में भी लग सकेगा. इसके अलावा निगम को बड़े प्रोजेक्ट के लिए अगर लोन लेना होता है तो उसको दिल्ली सरकार से इजाजत लेनी होती है. लेकिन अब निगम डायरेक्ट केंद्र सरकार के जरिए फंड और लोन ले सकेगा.