दिल्ली का सिविक सेंटर....वो बिल्डिंग जहां पर राजधानी के विकास की रूप रेखा रखी जाती है, जहां पर दिल्ली को बड़े सपने दिखाए जाते हैं, वो सब टूट गया, वो उम्मीदें टूट गईं. बीजेपी और आप के पार्षदों ने जिस प्रकार की तस्वीर पेश की है, उसे देख सिर्फ चिंता में डूबा जा सकता है, सिर्फ ये सोचने पर मजबूर हुआ जा सकता है कि क्या इन्हीं लोगों को वोट देकर दिल्ली की सेवा के लिए लाया गया था?
शुक्रवार को सिविक सेंटर में एक दूसरे पर कुर्सियां फेंकी गई हैं, माइक तोड़े गए हैं, कपड़े फाड़े गए हैं, गुंडागर्दी का जो भी स्टैंडर्ड होता है, इन पार्षदों ने उसे पूरी शिद्दत से निभाया है. दिल्ली के पार्षदों की शर्मनाक करतूत को देखकर यही कहा जा रहा है कि MCD में एम का मतलब मारपीट है, C का मतलब-छीना झपटी है और डी का मतलब धक्का मुक्की होता है. जरा सिलसिलेवार तरीके से इस पूरे घटनाक्रम को समझ लेते हैं-
कब...कहां...क्या, जानिए सबकुछ
असल में नगर निगम की कार्यवाही में शुक्रवार को दिल्ली के मेयर का चुनाव होना था, लेकिन उससे पहले पीठासीन अधिकारी को चुना गया और उसके बाद पीठासीन अधिकारी ने सबसे पहले मनोनीत पार्षदों को शपथ लेने के लिए बुलाया. इसको लेकर आम आदमी पार्टी के पार्षदों ने हंगामा करना शुरू कर दिया. जैसी ही पीठासीन ने मनोनीत पार्षदों ने बुलाया, आप नेता मुकेश गोयल ने खड़े होकर इसका विरोध करते हुए कहा कि ऐसा तो बीते 15 साल से होते हुए आया है, अब इसको बदलना होगा. उसके बाद आम आदमी पार्टी के पार्षदों ने सदन में हंगामा शुरू कर दिया. आप पार्षदों ने बेल में आकर हंगामा करना शुरू कर दिया और फिर वो पीठासीन अधिकारी की मेज के सामने आकर नारेबाजी की. दरअसल दिल्ली में मेयर के चुनाव में हार-जीत बहुत ही कम अंतर से होनी है, इसको लेकर दोनों ही पार्टियां जोड़तोड़ में जुटी हैं. मनोनीत पार्षदों को शपथ दिलाने को लेकर आप की ओर से आरोप लगाया गया कि बीजेपी 10 मनोनीत पार्षदों को वोटिंग का अधिकार देने की साजिश रच रही है.
#WATCH | Delhi: BJP and AAP councillors clash with each other and raise slogans against each other ahead of Delhi Mayor polls at Civic Centre. pic.twitter.com/ETtvXq1vwM
— ANI (@ANI) January 6, 2023
'बेशर्म रंग' जिन्होंने राजनीति को किया शर्मसार
अब ये पूरा मामला है तो समझ लिया गया, अब उन करतूतों को भी समझ लीजिए जिस वजह से ये सारा बवाल खड़ा हुआ है. असल में जब सिविक सेंटर में बवाल शुरू हुआ, तब क्या पुरुष, क्या महिला, किसी को भी बख्शा नहीं गया. किसी महिला पार्षद के कपड़े फाड़ दिए गये, किसी महिला पार्षद का आरोप है कि नुकीले हथियार से हमला किया गया, तो शपथ के लिए पहुंचा पार्षद पिटाई के बाद स्ट्रेचर पर पहुंच गया- मतलब सदन के अंदर सिर्फ हंगामा हुआ. यहां ये समझ लीजिए कि 86.21 प्रतिशत साक्षरता दर वाली दिल्ली की स्थानीय सरकार अब इन्हीं के हाथ में है. सोचिए जिन पार्षदों का चाल, चरित्र और चेहरा ऐसा है, आने वाले पांच सालों में दिल्ली को क्या से क्या बना देंगे. देश की दो राष्ट्रीय पार्टियों के पार्षदों का ये रूप, ये रंग डराने वाला. अब सवाल उठता है कि पहला कदम किसने बढ़ाया था, किसकी तरफ से सबसे पहले मर्यादा को लांगा गया. तस्वीरें और वीडियों में इसका जवाब भी छिपा है.
#WATCH | Delhi: Ruckus at Civic Center as BJP, AAP councillors clash with each other amid ensuing sloganeering ahead of Delhi Mayor polls. pic.twitter.com/v1HXUxawSC
— ANI (@ANI) January 6, 2023
दरअसल जब दिल्ली के आदर्श नगर वार्ड से आम आदमी पार्टी के पार्षद मुकेश गोयल ने शपथ का विरोध शुरू किया, बस फिर क्या था, आम आदमी पार्टी के पार्षद पीठासीन अधिकारी की टेबल की तरफ बढ़ गए. पीठासीन अधिकारी की टेबल पर आम आदमी पार्टी के पार्षद चढ़ गए, टेबल पर आम आदमी पार्टी की कुछ महिला पार्षद भी चढ़ गई. भारी हंगामे के बीच पीठासीन अधिकारी ने 10 में से 3 और नॉमिनेटेड पार्षदों को शपथ दिला दी, बस फिर क्या था, आम आदमी पार्टी के पार्षदों ने आपा खो दिया. कांग्रेस ने वोटिंग से दूर करने का फैसला किया था, लिहाजा जो कुछ हुआ वो बीजेपी और आम आदमी पार्टी के पार्षदों के बीच हुआ. इस पूरे बवाल में बीजेपी पार्षद शरद कपूर, इंदर कौर, अनिता सांगवान चोटिल हुई हैं. शरद कपूर के तो लिगामेंट में गहरी चोटें आई हैं.
चुनाव टले, तारीख पता नहीं, विवाद बड़ा
अब आम आदमी पार्टी का आरोप है कि नॉमिनेटेड पार्षदों से मेयर और डिप्टी मेयर के लिए वोट डलवाना चाहती थी, लेकिन सच ये है कि नॉमिनेटेड पार्षद मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव मे हिस्सा नहीं लेते. वही बीजेपी का आरोप है कि हार के डर की वजह से आप ने बेशर्म रंग दिखाया है. शुक्रवार को हंगामे के बावजूद पीठासीन अधिकारी ने दो बार कार्रवाई को आगे बढ़ाने की कोशिश की, लेकिन जब पार्षद नहीं माने तो कार्रवाई को स्थगित कर दिया, लेकिन अब शपथ कब होगी, ये तारीख अभी तय नहीं हैं, लेकिन इन तस्वीरों ने लोकतंत्र को शर्मसार जरूर कर दिया.