दिल्ली के तीनों निगमों को एक करने के बिल (MCD unification bill) पर मोदी कैबिनेट ने मुहर लगा दी है. अब इसी हफ्ते यह बिल संसद में लाया जा सकता है. संसद में पास होने के बाद दिल्ली में तीन की जगह सिर्फ एक मेयर होगा. इसके अलावा नॉर्थ, साउथ और ईस्ट के बदले एक सिर्फ एक ही निगम होगा.
बता दें कि मार्च में ही MCD चुनाव की तारीखों का ऐलान होना था लेकिन इसी वजह से अबतक यह ऐलान नहीं हुआ है. तब चुनाव आयोग ने ही बताया था कि केंद्र सरकार तीनों MCD को एक कर सकती है.
दिल्ली नगर निगम में चुनाव 18 मई से पहले करवाना है और राज्य निर्वाचन आयोग को एक महीने का वक्त भी चाहिए कि वो तारीखों को घोषित कर सके. ऐसे में संसद कोई भी फैसला तारीखों को ध्यान में रखकर करेगी. लिहाजा 16 अप्रैल से पहले संसद को फैसला लेना होगा.
दिल्ली में MCD चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) ने सुप्रीम कोर्ट का भी रुख किया है. AAP ने गुजारिश की है कि तय वक्त पर MCD चुनाव कराए जाएं.
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AAP का आरोप- चुनाव से भाग रही भाजपा
दिल्ली में निगम चुनाव टालने और BJP के चुनाव से भागने के आरोप आम आदमी पार्टी ने लगाए हैं. इस आरोप पर बीजेपी प्रदेश महामंत्री कुलजीत चहल ने कहा था 4 विधानसभा चुनावों में जमानत जब्त कराने वाली पार्टी ओवर कान्फिडेंस में है. वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ये दावा कर चुके हैं कि अभी एमसीडी के चुनाव हुए तो बीजेपी सिर्फ 50 सीटों में ही सिमट जाएगी.
कम हो सकती है CM की पावर
खबर है कि दिल्ली सरकार का दखल निगम में बेहद कम करने के लिए मेयर-इन-काउंसिल व्यवस्था अपनाई जा सकती है, जिसमें मेयर और उसके पार्षदों को शहर के लोग सीधे चुनेंगे. अगर ऐसा होता है तो वो सीएम से ज्यादा प्रभाव वाला माना जाएगा, क्योंकि सीएम तो सिर्फ एक विधानसभा से विधायक के तौर पर चुना जाता है. वहीं मेयर और पार्षदों का कार्यकाल बढ़ाने पर भी विचार किया जा रहा है.