हर महीने वेबसाइट मेंटेनेंस पर एक करोड़ रुपये खर्च करने वाला दिल्ली नगर निगम अब सवालों के घेरे में है. भारी भरकम रकम खर्च करने के बावजूद निगम की वेबसाइट बीते कई वर्षों से ऑनलाइन आरटीआई आवेदन को स्वीकार नहीं कर रही है.
दिल्ली नगर निगम की वेबसाइट खोलते ही तीनों निगमों की अलग-अलग लिंक आ जाते हैं, इसमें कई जानकारियां भी दी गई हैं. लेकिन जैसे ही आप आरटीआई आवेदन की ओर बढ़ेंगे, निगम वेबसाइट बंद दिखेगी, यानी आप फिलहाल दिल्ली नगर निगम में सूचना का अधिकार का प्रयोग ऑनलाइन तौर पर नहीं कर सकते. आरोप ये भी है कि निगम चाहता है कि आम जनता नगर निगम से सूचना के अधिकार के तहत जानकारी आसानी से न मांग सके और यही वजह है कि निगम ने ऑनलाइन आवेदन की विकल्प को वेबसाइट से हटा दिया है.
इस मुद्दे पह राजनीति भी गरमा गई है विपक्ष के नेता और कांग्रेस पार्षद अभिषेक दत्त ने कहा कि जब से दिल्ली नगर निगम तीन भागों में बंटा है एमसीडी चाहती है भ्रष्टाचार का खुलासा ना हो, यही वजह है कि जानबूझकर दिल्ली नगर निगम ने सूचना के अधिकार को ब्लॉक कर दिया है.
वहीं, मामला उठने पर दिल्ली नगर निगम बैकफुट पर दिख रही है, उत्तरी दिल्ली नगर निगम के मेयर आदेश गुप्ता ने कहा कि वह हैरान हैं कि इस तरह की बात हुई है, आगे से ऐसा नहीं होगा और निगम की वेबसाइट दुरुस्त की जाएगी.
जहां एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग छेड़ कर कई महत्वपूर्ण चीजों को ऑनलाइन करने की बात कहते हैं, तो वहीं दिल्ली नगर निगम की वेबसाइट डिजिटल इंडिया की पोल खोल रही है. एक करोड़ रुपये महीना वेबसाइट को मेंटेन करने के लिए दिए जा रहे हैं बावजूद इसके महत्वपूर्ण जानकारियां छिपाई जा रही हैं.