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पांच साल की कानूनी जंग के बाद जीती मोहब्बत! लोक अदालत में हुई मह‍िला की तीसरी बार शादी

कोर्ट ने पहले दूसरी शादी को अमान्य करार दे दिया था क्योंकि महिला ने अपने पहले पति से तलाक लिए बिना दूसरी शादी कर ली थी. इसी दौरान, महिला का पहले पति से भी तलाक हो गया था और दूसरे पति से मेंटि‍नेंस का केस लड़ रही थी. पांच साल की कानूनी लड़ाई के बाद उसने दूसरे पति से फिर से शादी की.

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Representation Image (Chat GPT)
Representation Image (Chat GPT)

एक अनोखे मामले में, दिल्ली की लोक अदालत ने पांच साल से चली आ रही कानूनी लड़ाई को खत्म करते हुए एक महिला और उसके पूर्व पति की दोबारा शादी करा दी. इस तलाकशुदा जोड़े ने फिर से एक-दूसरे के साथ सात फेरे लेने का फैसला किया और लोक अदालत में समझौता करते हुए कानूनी लड़ाई खत्म कर दी. दोनों ने अदालत में ही शादी की और खुशी-खुशी दोबारा घर बसा लिया. 

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शादी, झगड़ा और कानूनी लड़ाई

जानकारी के अनुसार, महिला ने पहले पति को छोड़कर लव मैरिज की थी, लेकिन उसने अपने शादीशुदा होने की बात अपने दूसरे पति से छुपाई थी. जब यह राज खुला, तो दोनों के बीच विवाद शुरू हो गया और मामला कोर्ट तक पहुंच गया. कोर्ट ने इस शादी को अमान्य करार दे दिया क्योंकि महिला ने अपने पहले पति से तलाक लिए बिना दूसरी शादी कर ली थी. इसी दौरान, महिला का पहले पति से भी तलाक हो गया. 

बच्चे के जन्म ने बदल दी कहानी

इस मामले में महिला के सामने समझौता करने का एक कारण उसका दूसरे पति से जन्मा बच्चा भी था. पहले महिला ने अपने पूर्व पति के खिलाफ बच्चे के भरण पोषण के लिए मेंटिनेंस का केस दायर किया था. इसे लेकर कोर्ट में कई बार सुनवाई हुई और दोनों पक्षों की दलीलें सुनी गईं. हालांकि, इस दौरान दोनों के बीच बातचीत शुरू हो चुकी थी. वो व्हाट्सऐप पर बातचीत करते थे और पांच साल के दौरान उनका आपसी लगाव बढ़ने लगा था. 

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लोक अदालत में सुलह, बनी तीसरी बार शादी की वजह

कानूनी लड़ाई के चलते जब दोनों बार-बार कोर्ट में मिलने लगे, तो उनके बीच पुरानी यादें फिर से ताजा हो गईं. लोक अदालत के समक्ष यह मामला आने के बाद, दोनों को समझाने की कोशिश की गई. काउंसलिंग सेशन में दोनों के बीच आपसी सहमति बनी और उन्होंने फिर से एक होने का फैसला किया. लोक अदालत ने दोनों को विधिवत विवाह करने की सलाह दी, ताकि उनका रिश्ता कानूनी रूप से भी मान्य हो सके. आखिरकार, उन्होंने फिर से सात फेरे लिए और उनकी शादी को कानूनी मान्यता मिल गई. 

पति के वकील मनीष भदौरिया ने बताया कि यह एक जटिल कानूनी मामला था, लेकिन लोक अदालत की पहल से इसका हल निकल आया. दोनों पक्षों ने मिलकर एक नया जीवन शुरू करने का फैसला किया, जो उनके बच्चे के भविष्य के लिए भी फायदेमंद रहेगा. यह केस दिखाता है कि बातचीत और समझौते से बड़ी से बड़ी समस्याओं को हल किया जा सकता है. मनीष भदौरि‍या ने कहा कि ऐसे कम ही केस आते हैं कि पति पत्नी का झगड़ा पांच साल बाद सुलझ जाए. इससे ये साबित होता है कि अगर आपसी समझ बनी रहे, तो रिश्ते फिर से जुड़ सकते हैं. पांच साल की कानूनी लड़ाई के बाद, इस जोड़े ने अपनी तीसरी शादी कर अपने रिश्ते को एक नया मौका दिया. 

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