दिल्ली मेट्रो की वर्ल्ड क्लास इमेज को एक वीडियो से जबरदस्त धक्का लगा है. यह वीडियो दिल्ली मेट्रो के एक स्टेशन पर मौजूद सिग्नल रूम का है और इसमें बारिश के दौरान पानी की धाराएं फूटने लगी, जिससे पूरे सिग्नल रूम में पानी भर गया. वो तो गनीमत रही कि सही वक्त पर दिल्ली मेट्रो के कर्मचारियों ने तिरपाल और दूसरी वाटरप्रूफ चीजों से ढंककर सिंग्नलिंग के पूरे सिस्टम को बारिश के पानी से बचा लिया, वरना मेट्रो का नेटवर्क भी ठप हो सकता था.
सूत्रों के मुताबिक यह वीडियो मेट्रो की ग्रीन लाइन यानी इंद्रलोक मुंडका लाइन के इंद्रलोक मेट्रो स्टेशन का है, जहां बारिश का पानी छत से होते हुए सिग्नल रूम में टपकने लगा और धीरे-धीरे टपकने का सिलसिला पानी की तेज धाराओं में बदल गया. मेट्रो सूत्रों के मुताबिक इस रूम में सिग्नलिंग सिस्टम के महत्वपूर्ण उपकरण और मशीनें मौजूद थीं, जिससे मेट्रो का ऑटोमेटिक ऑपरेशन संचालित होता है. कब मेट्रो ट्रेन आएगी, प्लेटफार्म पर कहां रुकेगी और कितनी देर में प्लेटफार्म से फिर आगे बढेगी, ये सभी बातें ऑटोमेटिक ट्रेन आपरेशन के ज़रिए तय होती हैं और इसका पूरा आधार सिंग्नलिंग पर टिका होता है. ऐसे में मेट्रो की लापरवाही से इंद्रलोक लाइन का पूरा मेट्रो नेटवर्क ठप हो सकता था.
दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन से ईमेल के जरिए वीडियो के बारे में जानकारी मांगी गई. मेट्रो से पूछा कि यह वीडियो किस मेट्रो स्टेशन का है और सिग्नल रूम में पानी कैसे भर गया? कैसे सिग्नल रूम की पूरी छत बहने लगी और उपकरणों को बारिश के पानी से बचाने के लिए तिरपाल तक लगाने पड़े? इस लापरवाही के लिए कौन ज़िम्मेदार है और इस बारे में अब तक मेट्रो की तरफ से क्या कार्रवाई की गई?
हालांकि डीएमआरसी की तरफ से अब तक कोई जवाब नहीं मिला है, लेकिन मेट्रो के अफसरों ने अनौपचारिक तौर पर यह स्वीकारा है कि वीडियो मेट्रो के ही सिग्नल रूम का है. हालांकि वीडियो की तारीख को लेकर मेट्रो अभी भी चुप है. अगर पानी सिग्नलिंग सिस्टम में घुस जाता, उपकरण पानी से भीग जाते और मशीनें खराब हो जातीं, तो मेट्रो लाइन का पूरा सिग्नलिंग सिस्टम ठप हो जाता. पूरे नेटवर्क पर तो असर नहीं पड़ता, लेकिन एक पूरी लाइन पर ट्रैक सर्किट जाम हो सकता था, जिससे जो ट्रेन जहां खड़ी थी, वहीं रुक जाती और इनका आगे बढ़ाने के लिए मैनुअल मोड पर चलाना पड़ता, जिसमें स्पीड बहुत कम हो जाती है और थोड़ी ही देर में ट्रैक सर्किट जाम हो जाता.
जानकारों के मुताबिक यह एक बड़ी लापरवाही थी, क्योंकि ऐसा होने पर उस लाइन पर चल रही तमाम ट्रेनों का आपरेशन कंट्रोल रूम से संपर्क टूट जाता. हालांकि मुंडका लाइन पर अंडरग्राउंड सेक्शन नहीं है, वरना किसी अंडरग्राउंड सेक्शन पर ऐसी लापरवाही होती, तो मुसाफिरों से भरी ट्रेन टनल के अंदर फंसी रह सकती थी.