दिल्ली के उद्योग मंत्री सतेंद्र जैन अब सीएम अरविंद केजरीवाल के लिए नई मुसीबत बन सकते हैं. प्रधान सचिव (उद्योग) शकुंतला गैमलिन ने जैन पर दबाव बनाने का आरोप लगाते हुए उपराज्यपाल नजीब जंग को चिट्ठी लिखी है.
नजीब जंग को लिखे पत्र में प्रधान सचिव (उद्योग) शकुंतला गैमलिन ने दिल्ली की जमीन से जुड़े एक ऐसे मामले को उठाया है जिसमे केजरीवाल के उद्योग मंत्री सतेंद्र जैन का नाम भी शामिल है. चिट्ठी में गैमलिन ने लिखा है, 'सतेंद्र जैन मुझपर लगातार एक कैबिनेट नोट लाने का दबाव बना रहे थे जिससे ओद्योगिक जमीन को लीज होल्ड से फ्री होल्ड किया जा सके.'
पत्र में गैमलिन ने साफ लिखा है कि भूमि का विषय दिल्ली सरकार के अधीन नहीं है. लिहाजा इस मामले में कैबिनेट नोट लाना सही नहीं है. प्रधान सचिव (उद्योग) ने लिखा है कि इस मामले में फैसला सिर्फ डीडीए और उसके चेयरमैन नजीब जंग ही कर सकते हैं.
शकुंतला गैमलीन के खत को आधार माना जाए तो केजरीवाल के लिए ये एक नया झटका साबित हो सकता है क्योंकि मामला सीधे सीधे उनके वरिष्ठ मंत्री से जुड़ा है. इससे पहले भी सतेंद्र जैन और गैमलीन के बीच निजी बिजली कंपनियों को लेकर विवाद हो चुका है.
क्यों बढ़ सकती है केजरीवाल की मुसीबत?
दिल्ली में 18 औद्योगिक इलाके हैं और इनमे हजारों औद्योगिक प्लॉट हैं जो सभी लीज पर हैं. अगर इन इलाकों को फ्री होल्ड कर दिया जाएगा तो इन्हें कभी भी बड़ी आसानी से बिना किसी की इजाजत के बेचा जा सकता है जिसमें
हजारों करोड़ के वारे-न्यारे हो सकते हैं.
ऐसे में अगर केजरीवाल के उद्योग मंत्री सतेंद्र जैन कैबिनेट प्रस्ताव लाने की जल्दबाजी में दिख रहे हैं तो सवाल उठना लाजमी है कि क्या इससे वो जमीन मालिकों को फायदा पहुंचाना चाहते हैं? आरोप संगीन हैं और पहले से ही अहम और अधिकारों की जंग में कई विवादों से घिरे मुख्यमंत्री केजरीवाल के लिए इनका जवाब देना आसान भी नहीं होगा.