दिल्ली में डोर टू डोर स्वास्थ्य सुविधाओं के मकसद से खोले गए मोहल्ला क्लीनिक खुद ही बीमार दिख रहे हैं. दिल्ली आजतक की टीम ने पूर्वी दिल्ली के कई मोहल्ला क्लीनिक में रियलिटी चेक किया. सरकार के वादों औऱ ज़मीनी हकीकत में ज़मीन आसमान का फर्क मिला. मोहल्ला क्लीनिक पर खुद AAP सरकार में मंत्री रह चुके कपिल मिश्रा घोटले का आरोप लगा चुके हैं. क्या है सरकार के दावों का सच, हमारे रियलिटी चेक में खुली इसकी पोल...
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की महत्वाकांक्षी परियोजना मोहल्ला क्लीनिक की जबसे नींव रखी गई है, तबसे ये सुर्खियों में बने हुए हैं. घर-घर स्वास्थ्य पहुंचाने के मकसद से सत्ता में आई आप सरकार ने 1000 मोहल्ला क्लीनिक खोलने का दावा किया था. लेकिन सच्चाई ये है कि पूरी दिल्ली में कुल 100 क्लीनिक ही खुल पाए हैं, जो क्लीनिक खुली भी हैं, उनमें मरीज़ो को लैब फैसिलिटी अभी तक उपलब्ध नहीं कराई जा सकी है. हमने पूर्वी दिल्ली की चार मोहल्ला क्लीनिक की पड़ताल की और पाया कि चार में से तीन क्लीनिक में लैब फैसिलिटी अभी तक चालू हो ही नहीं पाई है.
ताहिरपुर क्लीनिक में सुविधाओं का अभाव
सबसे पहले आपको दिखाते हैं ताहिरपुर मोहल्ला क्लीनिक का हाल. इस मोहल्ला क्लीनिक को खुले हुए तीन महीने से भी ज्यादा का समय हो गया है, लेकिन यहां पर आम दवाइयों के अलावा कोई भी सुविधा मरीज़ों को नहीं मिल पाई है. हमने इस मोहल्ला
क्लीनिक की पड़ताल की और लैब असिस्टेंट ने बताए चौंकाने वाले सच. यहां पर मौजूद लैब असिस्टटेंट ने बताया- 'यहां लैब नहीं है, सिर्फ शुगर का बेसिक टेस्ट होता है, पास में एक मोहल्ला क्लीनिक दिलशाद गार्डन में खुला है, वहां आउटसोर्सिंग के ज़रिए
लैब फैसिलिटी खुली है. पास में जीटीबी है, यहां के मरीज़ों को वहां भेज देते हैं. यहां सिर्फ दवाई मिलती है'. बड़े अस्पतालों से बोझ कम करने के मकसद से जगह-जगह मोहल्ला क्लीनिक खोली गई थी कि छोटी-मोटी बीमारियों के लिए मरीज़ों को अस्पताल में
धक्के नहीं खाने पड़े.
नाले के ऊपर बना क्लीनिक
लेकिन यहां लैब असिसटेंट ने खुद खोली मुख्यमंत्री के दावों की पोल. न लैब सुविधा है औऱ न ही पूरा स्टाफ जिसका खामियाज़ा आम मरीज़ों को भुगतना पड़ रहा है. लैब असिस्टेंट ने बताया- 'मेरी डिस्पेंसरी से पोस्टिंग है, एक दिन वहां जाता हूं और एक दिन
यहां आता हूं. मैनपावर की कमी है, ऑल्टरनेट डेज़ में ड्यूटी कर रहा हूं. सबको मालूम है, मरीज़ों की भीड़ बढ़ जाती है. दो दिन के पेशंट एक दिन में देखने पड़ते हैं.'
मरीज़ों का भी कुछ ऐसा ही कहना है. मोहल्ला क्लीनिक में दिखाने आए एक मरीज़ ने बताया, ' टेस्ट लिख देते हैं तो जीटीबी जाते हैं'. और तो और नाले के उपर बने ताहिरपुर मोहल्ला क्लीनिक से मरीज़ों के बीमार पड़ने का खतरा लगातार बना हुआ है.
ताहिरपुर के स्थानीय निवासी करन सिंह ने बताया, 'ये क्लीनिक बना तो दिए हैं, लेकिन कोई सुविधा नहीं है, इनके पास इतनी पावर नहीं है कि किसी बड़े अस्पताल में रेफर कर दें. आसपास का एऱिया आप देखिए कितना गंदा है'.
टेस्ट के लिए बड़े अस्पताल भेजते हैं
मानसरोवर मोहल्ला क्लीनिक का भी कुछ ऐसा ही हाल है. डॉक्टर ने भी क्लीनिक की कमी को माना, लेकिन सिस्टम के सामने वो भी मजबूर दिखीं. क्लीनिक में पोस्टेड डॉक्टर ने बताया, '17 मार्च से चालू है, कुछ नहीं है यहां, लैब फैसेलिटी नहीं है यहां,
टेस्ट के लिए SDN या GTB रेफर कर देते हैं. अथॉरिटी से पूछा तो अंडर प्रोसेस बोलते हैं. पेशेंट परेशान होता है. उन्हें इधर-उधर घूमना पड़ता है.'
मानसरोवर पार्क की इस मोहल्ला क्लीनिक के आसपास की गंदगी अलग ही कहानी बयां कर रही है जिससे आसपास के स्थानीय लोग भी खफा हैं. एक स्थानीय व्यक्ति कमल ने बताया, 'सुविधा कुछ नहीं है, कोई फायदा नहीं है, धूल मिट्टी इतनी है, कोई सफाई नहीं है'. दरअसल आम आदमी पार्टी की सरकार ने ये वादा किया था कि इन मोहल्ला क्लीनिक में 200 से भी ज्यादा लैब टेस्ट फ्री किए जाएंगे. लेकिन पूर्वी दिल्ली के इन मोहल्ला क्लीनिक का रिएलिटी चेक करने के बाद सरकार के दावों की पोल खुलती दिख रही है.
अब आपको बताते हैं सीमापुरी की मोहल्ला क्लीनिक का हाल. दिल्ली यूपी बॉर्डर पर होने की वजह से यहां के स्थानीय लोगों को अलग ही दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. एक मरीज साएरा ने बताया, 'पर्ची बना दी थी और बोले दोबारा मत आना, सीमापुरी का पता मांग रहे हैं'. वहीं मेहराज़ ने कहा, 'बहुत परेशानी हो रही है, अभी भी कह रही हैं कि दिलशाद कॉलोनी जाओ. वहां कहते हैं कि बड़े अस्पताल जाओ, ये कैसा मोहल्ला क्लीनिक है'. यहां भी लैब टेस्ट के नाम पर सिर्फ इक्का दुक्का टेस्ट ही होते हैं. टेस्ट के लिए यहां मरीज़ बड़े अस्पतालों के धक्के खाने के लिए मजबूर हैं.